Feet touching rules, benefits and Significance: हिंदू धर्म में अपने से बड़ों के पैर छूने की परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है. आशीर्वाद की कामना लिए जब कोई व्यक्ति किसी वरिष्ठ व्यक्ति जैसे माता, पिता, गुरु आदि का चरण स्पर्श करता है और उसे न सिर्फ वरिष्ठ व्यक्ति द्वारा सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद प्राप्त होता है, बल्कि इस पूरी प्रक्रिया में उसे सकारात्मक ऊर्जा भी प्राप्त होती है, लेकिन चरण स्पर्श का लाभ आपको तभी प्राप्त होता है, जब आप इससे जुड़े कुछेक नियमों का पालन करते हैं. आइए जानते हैं कि कब किसी व्यक्ति के चरण छूने और कब नहीं छूने चाहिए.
किन लोगों के पैर नहीं छूने चाहिए
- हिंदू मान्यता के अनुसार यदि बीमार और लेटे हुए व्यक्ति के होकर बिस्तर पर लेटा हुआ है तो उसके पैर नहीं छूना चाहिए.
 - हिंदू मान्यता के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी के अंतिम संस्कार में शामिल होकर लौटा हो या फिर किसी कारण के चलते अशुद्धि में हो तो उसके पैर नहीं छूने चाहिए.
 - पूजा कर रहे व्यक्ति की पूजा के पैर नहीं छूना चाहिए. शास्त्र के अनुसार पूजा संपन्न हो जाने के बाद ही उसके चरण स्पर्श करना चाहिए.
 - किसी देवालय यानि मंदिर में देवी-देवताओं की पूजा करते समय कभी किसी के पैर नहीं छूने चाहिए.
 - दामाद को अपने ससुर के और भांजे को अपने मामा के पैर नहीं छूना चाहिए.
 - सन्यास लेने वाले व्यक्ति को अपने से वरिष्ठ गुरु के अलावा किसी व्यक्ति के पैर नहीं छूने चाहिए.
 
किन लोगों के पैर छूने चाहिए
सनातन परंपरा के अनुसार हमें हमेशा योग्य लोगों के पैर छूना चाहिए. जैसे माता, पिता, गुरु आदि. इनके अलावा हिंदू धर्म में छोटों के पैर भी छूने का विधान है. जैसे नवरात्रि में कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर पैर छूने की परंपरा है.
कैसे छूना चाहिए बड़ों का पैर?
हिंदू धर्म में पूजनीय लोगों या फिर बड़ों के पैर तीन तरीके से छुए जाते हैं. जिसमें आदमी कमर झुकाकर अपने से वरिष्ठ व्यक्ति के पैर छूकर आशीर्वाद मांगता है. दूसरा तरीके में वह अपने घुटनों को मोड़कर बैठता है और सामने वाले के पैर छूता है. इसके अलावा तीसरे तरीके में वह व्यक्ति को दंडवत प्रणाम करता है. जिसमें वह पेट के बल जमीन में सीधे लेटकर प्रणाम करता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)














