Onam 2022 Date : ओणम का त्योहार मनाया जा रहा है आज, जानें महत्व और इससे जुड़ी कथा

Onam 2022 Date: ओणम का पर्व दक्षिण भारत में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. आइए जानते हैं ओणम की सही डेट, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और पौराणिक कथा के बारे में.

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Onam 2022 Date : ओणम का पर्व इस दिन मनाया जाएगा.

Onam 2022 Date: ओणम दक्षिण भारत के केरल और तमिलनाडु राज्य में प्रमुख रूप से मनया जाता है. इसे मलयालम में थिरुवोणम भी कहा जाता है. इस पर्व को बेहद पवित्र माना जाता है. यह पर्व दक्षिण भारत में 10 दिनों तक बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल ओणम (Onam 2022 Date) 30 अगस्त 2022 को शुरू हुआ था जो कि 08 सितंबर को यानी आज समाप्त हो रहा है. इस अवसर पर केरल, तमिलनाडु समेत पूरे देश में धूमधाम से ओणम का त्योहार मनाया जा रहा है. आइए जानते हैं ओणम (Onam Festival) से जुड़ी धार्मिक मान्यता, कथा और महत्व.

क्यों मनाते हैं ओणम | why celebrate onam

ओणम दक्षिण भारत के प्रमुख पर्वों में से एक है. इस पर्व को लेकर धार्मिक मान्यता है कि इस अवसर पर राजा महाबलि पाताल लोक से धरती पर लोगों को आशीर्वाद देने के लिए आते हैं. इसके साथ ही ओणम को लेकर मान्यता यह भी है कि इस दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था. यही कारण है कि इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा होती है.

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ओणम 2022 शुभ मुहूर्त | onam 2022 Shubh Muhurat

हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार थिरुवोणम् 07 सितंबर 2022 को शाम 4 बजकर 05 मिनट से शुरू होकर 08 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 40 मिनट तक रहेगा. ओणम का पर्व थिरुवोणम् नक्षत्र में मनाने की परंपरा है. इसलिए यह पर्व इस बार 08 सितंबर को मनाया जाएगा. इस साल ओणम पर रवि और सुकर्मा योग जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं. मान्यतानुसार, इस मुहूर्त में पूजा करने से विशेष लाभ मिल सकता है. 

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इस तरह मनाया जाता है ओणम | how Onam is celebrated

केरल में ओणम के पर्व को धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन लोग अपने घर को रंगोली, फूल से सजाते हैं. इसके साथ ही घर में रसम, चड़ी, पुलीसेरी, खीर इत्यादि स्वादिष्ट पकवान बनाकर इस पर्व को मनाते हैं. इसके अलावा ओणम पर्व पर केरल में नौका दौड़, भैंस और बैल दौड़ आदि तमाम तरह की प्रतियोगिता आयोजित होती है. खुशी और उमंग के इस पर्व को लोग एक दूसरे के घरों में शुभकामना देकर और मिठाईयां खाकर मनाते हैं.

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ओणम से जुड़ी पौराणिक कथा | Mythology related to Onam

पौराणिक कथा के अनुसार, राक्षसों के राजा बलि दानी होने के साथ-साथ पराक्रमी भी थे. वे भगवान विष्णु के परम भक्त भी थे. उन्हें इस बात का घमंड था कि भगवान के सबसे बड़े भक्त हैं. कहा जाता है कि एक बार भगवान विष्णु वामन (बौने) का अवता लेकर उनका घमंड तोड़ने के लिए उनके पास पहुंचे. उस वक्त राजा बलि यज्ञ कर रहे थे. यज्ञ खत्म होते ही राजा बलि ने भगवान विष्णु के वामन अवतार से दान मांगने को कहा. तब भगवान ने राजा बलि से 3 पग जमीन मांग ली. घमंड में आकर राजा ने कहा कि भागवान के वामन अलतार से कहा कि आपने तो दान स्वरूप बहुत छोटी सी चीज मांगी है. लेकिन भगवान विष्णु ने अपने दो पग से ही राजा बलि के सारे साम्राज्य को नाप लिया. जब तीसरे पग के लिए राजा बलि के पास कुछ भी ना बचा तो उन्होंने अपना सिर ही उनके पैर के नीचे रख दिया. भगवान के पैर रखते ही राजा बलि पाताल लोक में समा गया. जिसके बाद प्रजा को बहुत कष्ट हुआ तो भगवान लोगों के शोक को दूर करते हुए राजा बलि को आशीर्वाद दिया कि साल में एक बार 10 दिन तक वे अपने प्रजा के बीच रहेंगे. मान्यता यह है कि ओणम के पर्व पर राजा बलि आते  हैं और अपनी प्रजा के दुख दूर करते हैं. साथ ही वे उन्हें सुख-समृद्धि भी प्रदान करते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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