Navratri Day 2: शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन इस तरह करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जरूर पढ़ें यह मंत्र 

Navratri 2024 Day 2: नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है. इस दिन किस तरह माता की पूजा की जा सकती है और किन मंत्रों का जाप करना माना जाता है शुभ, जानें यहां. 

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Shardiya Navratri 2024: नवरात्रि की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. साल में 4 बार नवरात्रि आती है जिनमें से आखिरी नवरात्रि शारदीय नवरात्रि होती है जो आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है. नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) को समर्पित होता है. इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूरे मनोभाव से पूजा-आराधना की जाती है. 4 अक्टूबर, शुक्रवार यानी आज किस तरह नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का पूजन करें, जानें यहां. 

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नवरात्रि के दूसरे दिन की पूजा | Navratri Day 2 Puja 

नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी का दिन होता है. मां ब्रह्मचारिणी को तप और वैराग्य की देवी माना जाता है और कहते हैं माता की पूरे मनोभाव से पूजा करने पर भक्तों को त्याग, तप, वैराग्य और संयम प्राप्त होता है. देवी ब्रह्मचारिणी के स्वरूप की बात करें तो उनका स्वरूप श्वेत वस्त्र में लिप्टी हुई कन्या का है. मां के हाथों में अष्टदल की माला और दूसरे हाथ में कमंडल होता है. मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप सादा होने के बाद भी भव्य होता है और अतिसौम्य नजर आती हैं. 

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नवदुर्गा के दूसरे रूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा (Maa Brahmacharini Puja) करने के लिए सुबह स्नान पश्चात व्रत का संकल्प लिया जाता है. इस दिन स्वच्छ वस्त्र पहने जाते हैं. माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय रंग सफेद और पीला माना जाता है. इस चलते पूजा में सफेद या पीले रंग के वस्त्र पहने जा सकते हैं. पूजा करने से पहले मंदिर की सफाई करके पिछले दिन के सूखे हुए फूल हटा दें. इसके बाद माता के समक्ष दीपक जलाएं और फल, फूल, चंदन, कुमकुम, अक्षत और दीप आदि रखें. मां के मंत्रों (Mantra) का जाप करें, आरती करें, भोग लगाएं और सभी में प्रसाद का वितरण करके पूजा संपन्न करें. 

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मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का मंत्र 

- दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:

- दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

मां ब्रह्मचारिणी की आरती 

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए। 
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो ​तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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