Narak chaturdashi 2025: आज है छोटी दिवाली, जानें नरक चतुर्दशी पर कैसे करें पूजा और कहां जलाएं दीये?

Narak chaturdashi 2025: आज दिवाली के पंचमहापर्व का दूसरा दिन है, जिसे नरक चतुर्दशी, रूप चौदस और हनुमान पूजा के लिए जाना जाता है. आज के दिन यम देवता की पूजा किस लिए की जाती है और उनके लिए कब और कैसा दीया जलाएं, जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

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Narak Chaturdashi 2025: छोटी दिवाली की पूजा विधि और उपाय
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Narak chaturdashi 2025: सनातन परंपरा में कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को छोटी दिवाली या फिर नरक चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी और हनुमान पूजा के नाम से जाना जाता है. यह पर्व दीपावली से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन ही भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध करके 16,000 महिलाओं को उसकी कैद से मुक्त कराया था. इस दिन सुबह के समय शरीर में उबटन लगकार अभ्यंग स्नान करने की परंपरा है.

नरक चतुर्दशी को हनुमान पूजा के नाम से भी जाना जात है, इसलिए इस दिन हनुमान जी की विधि-विधाने से पूजा की जाती है. छोटी दिवाली या फिर कहें नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय यम देवता के लिए विशेष रूप से दीया जलाया जाता है. आइए जानते हैं कि आज किस समय और किस दिशा में दीया जलाने से व्यक्ति को पुण्यफल की प्राप्ति होती है. 

छोटी दिवाली पर कहां जलाए दीया

हिंदू मान्यता के अनुसार आज के दिन यम देवता के लिए विशेष रूप से दीया जलाया जाता है. मान्यता है कि आज के दिन यम देवता के लिए दीया जलाने से नरक में जाने से मुक्ति मिलती है. हिंदू मान्यता के अनुसार आज प्रदोषकाल में यम देवता के लिए दीया जलाने के साथ 14 दीया जलाना शुभ माना गया है. जिसे घर के विभिन्न स्थानों जैसे छत, आंगन, बालकनी, दरवाजे के बाहर आदि जगह पर रखना चाहिए. छोटी दिवाली के दिन सरसों के तेल का दीया जलाना चाहिए. 

नरक चतुर्दशी पर कब जलाए दीया

पंचांग के अनुसार आज नरक चतुर्दशी या फिर कहें छोटी दिवाली पर गोधूलि मुहूर्त 05:47 से लेकर 06:13 बजे तक रहेगा। इसके अलावा आप सायाह्न संध्या के समय यानि सायंकाल 05:47 से 07:03 बजे के बीच का समय भी दीपदान के लिए उचित रहेगा. 

छोटी दिवाली का महाउपाय 

छोटी दिवाली के दिन गाय के गोबर से बनाए हुए दीये जलाने की परंपरा है. मान्यता है कि इस उपाय को करने से यम की यातना से मुक्ति मिलती है.आज यम देवता के लिए उनके मंत्र का जप करते हुए चार बाती वाला दीया प्रदोषकाल में जलाना चाहिए. मान्यता है कि इस उपाय को करने से व्यक्ति को यम और प्रेत बाधा का भय नहीं रहता है. दिवाली के पंचपर्व में यम देवता का पूजा विशेष रूप से होता है. गौरतलब है कि दिवाली के पांच पर्वों में न सिर्फ नरक चतुर्दशी बल्कि भैया दूज का पर्व भी यम देवता और यमुना माता से जुड़ा हुआ है. 

छोटी दिवाली में दीये का महत्व 

हिंदू मान्यता के अनुसार बड़ी दीपावली के मुकाबले आज घरों में जो दीपमालिकाएं बनाई जाती हैं, वो कुछ छोटी होती हैं. मान्यता है कि छोटी दिवाली के दिन जलाए जाने वाले दीये नकारात्मकता को दूर करके सकारात्मकता लाते हैं. छोटी दिवाली पर जलाए जाने वाले ये दीये इस पर्व की पवित्रता के प्रतीक हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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