Muharram 2024: मुसलिम समुदाय में मुहर्रम का अत्यधिक महत्व होता है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, मुहर्रम के महीने से नए साल की शुरूआत होती है. इस साल मुहर्रम की शुरूआत बीती 7 जुलाई को हो गई थी. मुहर्रम के महीने को मुसलिम समुदाय में बेहद पवित्र माह माना जाता है. इस महीने में कई जुलूस निकाले जाते हैं और कई दिनों पर रोजा रखा जाता है. इस माह मुसलिम समुदाय जश्न से दूर रहता है और चमक-धमक वाले लिबास नहीं पहने जाते हैं. मान्यतानुसार मुहर्रम शुरू होने के बाद के दसवें दिन को आशुरा के रूप में मनाया जाता है. आशुरा (Ashura) के दिन को मुसलिम समुदाय में मातम भी माना जाता है. इस दिन का विशेष धार्मिक महत्व भी है और साथ ही इससे पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है. यहां जानिए आशुरा से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में.
आज है देवशयनी एकादशी, मान्यतानुसार इस कथा को पढ़ना माना जाता है बेहद शुभ
क्यों मनाया जाता है आशुरा का दिन
इस्लामिक मान्यतानुसार, तकरीबन 1400 सालों पहले बादशाह यजीद के द्वारा हजरत इमाम हुसैन को कर्बला के मैदान में बंद कर दिया गया था. मुहर्रम के महीने की दसवीं तारीख को ही पैगंबर मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन को शहीद किया गया था. इसी गम में हर साल आशुरा के दिन ताजिए निकाले जाते हैं, शोक मनाया जाता है और दुख का माहौल होता है.
मुसलिम समुदाय के लोग आशुरा के दिन मातम मनाते हैं. इस दिन मजलिस पढ़ते हैं, लोग काले कपड़े पहनकर शोक व्यक्त करते हैं और शिया इस दिन भूखे भी रहते हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि कहते हैं कि इमाम हुसैन के काफिले के लोगों को भी इस दिन भूखा रखा गया था और भूख की हालत में ही उन्हें शहीद किया गया था. सुन्नी समुदाय के लोग इसदिन रोजा रखकर और नमाज पढ़कर अपना गम जाहिर करते हैं. लोग इसदिन बड़ी तादाद में जुलूसों में भी शामिल होते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
Raksha Bandhan 2024: रक्षाबंधन है इस तारीख को, राखी बांधने का सही समय जानिए पंडित से