Meerabai Jayanti 2021: प्रत्येक वर्ष अश्विन मास की शरद पूर्णिमा के दिन मीरा बाई की जयंती का पर्व मनाया जाता है. इस बार मीराबाई जयंती आज (20 अक्टूबर, 2021) बुधवार को पड़ रही है. कहा जाता है कि मीरा बाई का पूरा जीवन रहस्यों से भरा है. श्री कृष्ण के प्रति मीरा की भक्ति से आखिर कौन परिचित नहीं है. उन्हें जानने के लिए श्री कृष्ण के प्रति उनका समर्पण काफी है. धार्मिक कथाओं में मीरा बाई के बारे में जितना भी वर्णन मिलता है, उससे यही पता चलता है कि एक मीरा ही हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन केवल श्री कृष्ण की भक्ति में बिता दिया. इनके लिए दुनिया के सारे रंग फीके थे, अगर किसी में रस था वो सिर्फ श्री कृष्ण की भक्ति में. मीरा बाई भगवान श्री कृष्ण की सबसे बड़ी भक्त मानी जाती है. मीरा बाई ने जीवनभर भगवान कृष्ण की भक्ति की और कहा जाता है कि उनकी मृत्यु भी भगवान की प्रतिमा में समा कर हुई थी.
श्री कृष्ण भक्ति में की कई भजनों और दोहों की रचना
भगवान श्री कृष्ण के भक्तों में मीराबाई का उच्च स्थान है. उन्होंने स्वंय को पूरी तरह से कृष्ण भक्ति में लीन कर लिया था. मीराबाई बचपन से ही भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में रम गई थी और अपने पूरे जीवन काल में भगवान कृष्ण की भक्ति करती रहीं. आज भी मीराबाई की भक्ति के किस्से लोगों के याद रहते हैं. इन्होंने कृष्ण भक्ति में कई भजनों और दोहों की रचना भी की, जो आज भी लोकप्रिय हैं.
Meerabai Jayanti 2021: मीराबाई के जीवन की महत्वपूर्ण बातें
बाल्यकाल से ही श्री कृष्ण को मान लिया अपना वर
मीराबाई के कृष्ण भक्त बनने के पीछे एक कथा मिलती है, जिसके अनुसार एक समय की बात है जब उनके पड़ोस में किसी धनवान व्यक्ति के यहां बारात आई थी. उस समय मीराबाई बाल्यकाल की अवस्था में थीं. सभी स्त्रियां छत पर खड़ी होकर बारात देख रही थीं. मीराबाई भी बारात देखने के लिए छत पर आ गईं. बारात को देख मीरा ने अपनी माता से पूछा कि मेरा दूल्हा कौन है, इस पर मीराबाई की माता ने उपहास में ही भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति की तरफ इशारा करते हुए कह दिया कि यही तुम्हारे वर हैं, यह बात मीराबाई के बालमन में एक गांठ की तरह समा गई और वे कृष्ण को ही अपना पति मानने लगी.
मीराबाई का जीवन
बताया जाता है कि मीराबाई जोधपुर, राजस्थान के मेड़वा राजकुल की राजकुमारी थीं. मीराबाई मेड़ता महाराज के छोटे भाई रतन सिंह की एक मात्र संतान थीं. मीरा जब केवल दो वर्ष की थीं, उनकी माता की मृत्यु हो गई थी, इसलिए इनके दादा राव दूदा उन्हें मेड़ता ले आए और अपनी देख-रेख में उनका पालन-पोषण किया. वैसे तो इनके जन्म समय का कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिलता, लेकिन इनका जन्म 1448 के लगभग माना जाता है. बता दें कि मीराबाई बचपन से ही भगवान कृष्ण की भक्ति में रम गई थी और अपने पूरे जीवन काल में भगवान कृष्ण की भक्ति करती रहीं.
मीराबाई के जीवन की महत्वपूर्ण बातें
- तुलसीदास के कहने पर की श्री राम की भक्ति.
- बचपन से ही श्रीकृष्ण की रहीं भक्त.
- भोजराज से हुआ था विवाह.
- श्री कृष्ण के प्रति मीराबाई की भक्ति.
- पति की मृत्यु के बाद जोगन बन गई थीं मीराबाई.
- मान्यता है कि वृंदावन की गोपी थीं मीरा.
- कहा जाता है कि कृष्ण की मूर्ति में समा गई थीं मीराबाई