Meen Sankranti 2023 : यहां जानिए Meen Sankranti का शुभ मुहूर्त और महत्व  

Sankranti 2023 : इस साल मीन संक्रांति 15 मार्च दिन बुधवार, 2023 को मनाया जाएगा. ऐसे में चलिए जान लेते हैं सूर्य देव की पूजा करने का शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है. 

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Zodiac sign : 15 मार्च  को सूर्य देव सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर मीन राशि में प्रवेश करेंगे.

Meen Sankranti 2023 date: जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करते हैं तो इस खगोलीय घटना को मीन संक्रांति कहते हैं. आपको बता दें कि सूर्य देव एक महीने के अंतराल में राशि परिवर्तन करते हैं जिसे संक्रांति कहते हैं. इस दौरान सूर्य देव की पूजा पाठ करना फलदायी होता है. इस साल मीन संक्रांति 15 मार्च दिन बुधवार, 2023 को मनाया जाएगा. ऐसे में चलिए जान लेते हैं सूर्य देव की पूजा करने का शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है. 
 

मीन संक्रांति का शुभ मुहूर्त 

- आपको बता दें कि 15 मार्च  को सूर्य देव सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर मीन राशि में प्रवेश करेंगे. इस दिन पूण्य काल पूजा करने का दोपहर 01 बजकर 10 मिनट तक है. इस दिन अगर आप गंगा नदी में स्नान करते हैं तो मोक्ष की प्राप्ति होगी. 

मीन संक्रांति की पूजा विधि | Puja Vidhi Of Meen Sankranti 2022

प्रातः सूर्योदय के समय किसी पवित्र नदी में स्नान करें. स्नान के बाद सूर्यदेव को प्रणाम करके उन्हें अर्घ्य दें. इस दिन मंदिर में जाकर भगवान के दर्शन करना शुभ माना जाता है. इसके अलावा घर पर पूजा के समय धूप, दीप, फल, फूल, मिष्ठान आदि से भगवान की पूजा-आराधना करना भी अच्छा होता है. वहीं, पूजन के बाद ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र आदि का दान करना भी पूण्य माना जाता है जबकि पूजन के समय वैदिक मंत्रों का जाप करना फलदायी माना जाता है.

मीन संक्रांति का महत्व | Significance Of Meen Sankranti 2022

  • शास्त्रों में मीन संक्रांति का विशेष महत्व बताया गया है. धार्मिक दृष्टि से भी इस दिन को पवित्र और शुभ माना जाता है. मीन संक्रांति पर भगवान सूर्य की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है.

  • कहा जाता है ऐसा करने से नकारात्मकाता दूर होती है और ऊर्जा की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि मीन संक्रांति से सूरज की गति उत्तरायण की तरफ बढ़ रही होती है. उत्तरायण होते ही सूर्य के कारण दिन का समय बढ़ने लगता है और रात्रि छोटी होने लगती हैं.

  • शास्त्रों के मुताबिक, यह वह समय होता है जब प्रकृति में नया सृजन होता है. माना जाता है कि इस दौरान उपासना, ध्यान, योग करने से तन-मन और बुद्धि को पुष्ट होती है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश होता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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