Masik Shivratri 2021: आज है मासिक शिवरात्रि, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

मार्गशीर्ष माह में मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत दोनों का पूजन एक ही दिन होने का विशिष्ट संयोग बन रहा है. हर माह आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है. मार्गशीर्ष मास की मासिक शिवरात्रि इस साल 2 दिसंबर, गुरुवार यानि आज है.

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Masik Shivratri 2021: आज है मार्गशीर्ष मास की शिवरात्रि, जानिए पूजा विधि
नई दिल्ली:

हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. इसी दिन शिव को समर्पित प्रदोष व्रत भी है. इस कारण इस तिथि का महत्व भी कहीं ज्यादा बढ़ गया है. मार्गशीर्ष माह में मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत दोनों का पूजन एक ही दिन होने का विशिष्ट संयोग बन रहा है. हर माह आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है. मार्गशीर्ष मास की मासिक शिवरात्रि इस साल 2 दिसंबर गुरुवार यानि आज है. शास्त्रों और पुराणों में भगवान शिव की महिमा विशेष रूप से बताई गई है. कहते हैं भगवान शिव (Lord Shiva) को प्रसन्न करना बहुत आसान है. मार्गशीष महीने में भगवान शिव की अराधना करने का एक खास योग बन रहा है. इस दिन भगवान शिव का व्रत और पूजा करके आप उनका आर्शीवाद प्राप्त कर सकते हैं.

व्रत से जुड़ी पौराणिक मान्यता

प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि भगवान शिव (Lord Shiva) के प्रिय व्रत हैं. मान्यता है कि जो भक्त भोलेशंकर के ये व्रत रखते हैं भगवान उनसे शीघ्र प्रसन्न होकर उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इतना ही नहीं, भक्तों को संकट से मुक्ति मिलती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महादेव शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे, जिसके बाद से इस दिन को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है, लेकिन तब से हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का दिन शिव पूजा के लिए समर्पित माना जाता है.

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प्रदोष व्रत तिथि (Pradosh Vrat Tithi 2021)

  • त्रयोदशी तिथि आरंभ -1 दिसंबर, बुधवार को रात 11 बजकर 35 मिनट से,
  • त्रयोदशी तिथि समाप्त - 2 दिसंबर, गुरुवार को रात 8 बजकर 26 मिनट तक.

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मासिक शिवरात्रि तिथि (Masik Shivratri Tithi 2021)

  • कृष्ण चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ: 02 दिसबंर 2021, 10:56 पीएम.
  • कृष्ण चतुर्दशी तिथि समापन: 03 दिसंबर 2021, 07:25 पीएम.

मासिक शिवरात्रि पूजन विधि व मंत्र

  • सुबह स्नानादि करने के पश्चात दीप प्रज्वलित करें व व्रत का संकल्प लें.
  • शिवरात्रि की पूजा निशीथ काल (मध्य रात्रि) में करना का विधान है.
  • पूजा शुरू करने से पहले स्नान कर साफ कपड़े पहन लें.
  • शिवलिंग पर गंगा जल, दूध, घी, शहद, दही, सिंदूर, चीनी, गुलाब जल चढ़ाकर अभिषेक करें.
  • अभिषेक करते हुए – ॐ नमः शिवाय- जप करते रहें.
  • इसके बाद गंगाजल से अभिषेक करें और शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाएं.
  • शिवलिंग पर बिल्वपत्र, धतूरा, बेल पत्र, सफेद पुष्प और अगरबत्ती चढ़ाएं.
  • इसके बाद वहीं आसन पर बैठकर शिव चालीसा, ॐ नमः शिवाय का 108 बार और महामृत्युंजय मंत्र या पंचाक्षरी मंत्र का एक माला जाप करें.
  • पूजन पूर्ण होने के बाद आरती करें और त्रुटि के लिए क्षमा याचना करें.

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात्

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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