Masik Karthigai 2022: कब है मासिक कार्तिगाई दीपम, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

हर माह दक्षिण भारत में कार्तिगाई दीपम मनाया जाता है. इस दिन भगवान शिव शंकर और भगवान मुरुगन की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है.  इस दिन तिल के तेल या घी का दीपक जलाने की परंपरा है. आइए जानते हैं मासिक कार्तिगाई दीपम की पूजा की तिथि, शुभ मुहर्त और विधि.

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Masik Karthigai 2022: कल है मासिक कार्तिगाई दीपम, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली:

तमिल पंचांग के अनुसार, 9 फरवरी को मासिक कार्तिगाई दीपम है. हर माह दक्षिण भारत में कार्तिगाई दीपम मनाया जाता है. इस दिन भगवान शिव शंकर और भगवान मुरुगन की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन सूर्यास्त के बाद अपने घरों को कोलम और दीपक के तेल से सजाते हैं. कहते हैं कि कार्तिगाई दीपम का नाम कृतिका नक्षत्र के नाम पर रखा गया है.

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मान्यता है कि जिस दिन कृतिका नक्षत्र अति प्रबल होती है उसी दिन कार्तिगाई दीपम का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन तिल के तेल या घी का दीपक जलाने की परंपरा है. मासिक कार्तिगाई को कार्तिगाई दीपम भी कहा जाता है. आइए जानते हैं मासिक कार्तिगाई दीपम की पूजा की तिथि, शुभ मुहर्त और विधि.

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कार्तिगाई दीपम पूजा का शुभ मुहूर्त | Karthigai Deepam Shubh Muhurat

  • मासिक कार्तिगाई दीपम तिथि प्रारंभ- 9 फरवरी को 8 बजकर 30 मिनट पर शुरू,
  • मासिक कार्तिगाई दीपम तिथि का समापन- 10 फरवरी को 12 बजकर 23 मिनट पर.

कार्तिगाई दीपम कथा | Masik Karthigai Katha

पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय चिरकाल में भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद छिड़ गया. दोनों ही स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने लगे और विवाद बढ़ता चला जा रहा था. इस स्थिति में विवाद को सुलझाने के लिए भगवान शिव ने स्वयं को दिव्य ज्योति में बदल लिया, जिसके बाद उन्होंने दोनों देवों से उस दिव्यज्योति का सिरा और अंत ढूंढने को कहा. कार्तिगाई दीपम पर भगवान शिव के इसी ज्योति स्वरूप का पूजन किया जाता है.

कार्तिगाई दीपम पूजा की विधि |  Karthigai Deepam Puja Vidhi

  • इस दिन प्रातः काल ब्रह्ममुहूर्त में उठें और स्नान से निवृत होकर भगवान के समक्ष व्रत संकल्प लें.
  • पूजा घर में दीपक जलाएं.
  • भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें.
  • भगवान शिव शंकर की पूजा सफेद फूल, फल, धूप, दीप, अगरबत्ती, इत्र, शहद, भांग, धतूरा आदि चीजों से करें.
  • पूरे दिन भगवान शिव का स्मरण करते हुए व्रत करें.
  • भोलेनाथ की पूजा के समय शिव कवच का पाठ करें.
  • पूजा के आखिर में आरती-अर्चना के पश्चात प्रार्थना कामना करें.
  • संध्याकाल में शुभ मुहूर्त के समय दीप प्रज्वलित कर भगवान शिव का आह्वान करें.
  • यदि आप दिनभर निराहार उपवास करने में सक्षम नहीं हैं तो फलाहार कर सकते हैं.
  • अगले दिन के बाद प्रातः भगवान की पूजा-पाठ करने के बाद स्वयं भोजन ग्रहण करके व्रत का पारणा करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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