Margshirsh Amavasya 2025 Pitro Ki Puja Kaise Karen: सनातन परंपरा में मार्गशीर्ष मास की अमावस्या का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. जिस पावन मास को भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं अपना स्वरूप बताया हो, उसकी अमावस्या पर न सिर्फ श्री हरि की साधना बल्कि पितरों की पूजा अत्यधिक फलदायी मानी गई है. हिंदू मान्यता के अनुसार अमावस्या तिथि पर किसी जल-तीर्थ पर जाकर स्नान, दान और पूजन करने के साथ पिंडदान, तर्पण आदि करने पर देवी-देवताओं के साथ पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
हिंदू मान्यता के अनुसार इस तिथि पर पितर वंश से जुड़े लोगों से अपेक्षा करते हैं कि वे उनके तृप्ति और मोक्ष प्राप्ति के लिए विधि-विधान से तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान, अन्न दान आदि कर्म करेंगे. आइए जानते हैं कि मार्गशीर्ष मास की अमावस्या के दिन देवी-देवताओं के साथ पितरों को प्रसन्न करने वाली पूजा कैसे करनी चाहिए.
मार्गशीर्ष अमावस्या कैसे करें पूजा
हिंदू मान्यता के अनुसार मार्गशीर्ष यानि अगहन अमावस्या पर किसी जल तीर्थ पर जाकर स्नान-ध्यान और दान करना चाहिए. इस पावन तिथि पर तन और मन से पवित्र होने के बाद सबसे पहले सूर्य नारायण को अर्घ्य देना चाहिए. इसके बाद श्री हरि अथवा उनके पूर्णावतार भगवान श्रीकृष्ण की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. मार्गशीर्ष अमावस्या पर श्री हरि की कृपा पाने के लिए श्री विष्णु चालीसा अथवा श्री विष्णु सहस्त्रनाम का विशेष रूप से पाठ करें.
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कैसे करें पितरों की पूजा
तर्पण करने से पहले तन और मन से पवित्र हो जाएं और जिस स्थान पर तर्पण कर रहे हों वहां पर गंगाजल छिड़कर सबसे पहले एक दीया जलाएं. इसके बाद जिस दिवंगत व्यक्ति का तर्पण करना हो उसके चित्र को दक्षिण दिशा में स्थापित करके मंत्रों के जरिए पितरों का आह्वान करें. इसके बाद कुशा, काला तिल और सफेद पुष्प जल से भरे लोटे में रखकर ॐ पितृभ्यः स्वधा मंत्र बोलते हुए पितरों को जल दें. जल देने के बाद पितरों का स्मरण करते हुए उनसे भूलचूक के लिए क्षमा और अपने कुल और परिवार के सुख-सौभाग्य की कामना करें.
अगहन अमावस्या का उपाय
अगहन अमावस्या पर पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए उनके निमित्त अन्न, वस्त्र, धन आदि का दान करें तथा गाय, कुत्ते और कौवे के लिए ग्रास निकालें. हिंदू मान्यता के अनुसार अमावस्या के इस उपाय को करने से जीवन से जुड़े सभी कष्ट दूर और पितरों की कृपा प्राप्त होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)














