Margashirsha Month 2025: कब शुरू होगा भगवान कृष्ण का प्रिय अगहन मास, जानें इसका धार्मिक महत्व और जरूरी नियम 

Agahan Mass ke niyam: सनातन परंपरा में कार्तिक मास के बाद भगवान श्री कृष्ण के प्रिय मास माने जाने वाले अगहन मास की शुरुआत होती है. इस मास को मार्गशीर्ष मास क्यों कहते हैं? इसकी शुरुआत कब होगी और क्या हैं इससे जुड़े नियम, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख. 

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
Margashirsha Month 2025: मार्गशीर्ष मास (अगहन) का धार्मिक महत्व और नियम
NDTV

Margashirsha mahina kab se shuru hai 2025: सनातन परंपरा में प्रत्येक दिन, तिथि और माह किसी न किसी देवी या देवता की पूजा, व्रत आदि से जुड़ा हुआ होता है. यदि बात करें कार्तिक मास के बाद आने वाले अगहन या फिर कहें मार्गशीर्ष मास की तो यह भगवान श्री विष्णु के पूर्णावतार माने जाने वाले भगवान श्री कृष्ण को समर्पित होता है. हालांकि श्री कृष्ण के साथ इस महीने में माता लक्ष्मी और अन्य देवी देवताओं के साथ पितरों की पूजा और उनकी मोक्ष प्राप्ति के लिए भी अत्यंत ही फलदायी माना गया है. आइए जानते हैं कि मार्गशीर्ष मास कब से कब तक रहेगा और इसका धार्मिक महत्व क्या है?

कब से शुरू होगा अगहन मास 2025 

पंचांग के अनुसार जिस मास को भगवान श्रीकृष्ण स्वयं का प्रतीक बताते हैं और जिसमें की गई पूजा, जप, तप और व्रत को करने पर धर्म से लेकर मोक्ष तक की प्राप्ति होती हो, उसकी शुरुआत 06 नवंबर 2025, बृहस्पतिवार से होने जा रही है और यह 04 दिसंबर 2025, बृहस्पतिवार के दिन समाप्त होगा. इसके ठीक अगले दिन यानि 05 दिसंबर 2025, शुक्रवार को पौष मास की शुरुआत होगी. 

अगहन को क्यों कहते हैं मार्गशीर्ष मास 

​ज्योतिष के अनुसार अगहन महीने का संबंध 27 नक्षत्रों में से एक मृगशिरा नक्षत्र से है। चूंकि अगहन महीने की पूर्णिमा तिथि इसी मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है, इसीलिए यह भगवान श्री कृष्ण का यह प्रिय मार्गशीर्ष मास कहलाता है। 

मार्गशीर्ष मास का धार्मिक महत्व 

पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं भगवद्गीता अगहन मास की महत्ता को बताते हुए कहा है कि – “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्”, अर्थात मैं महीनों में मार्गशीर्ष हूं. यही कारण है कि इस मास में श्री कृष्ण की विशेष साधना और आराधना की जाती है. मार्गशीर्ष मास में श्री कृष्ण के साथ लक्ष्मी माता, तुलसी माता और भगवान विष्णु की पूजा करना बेहद शुभ और फलदायी माना गया है. 

मार्गशीर्ष माह की पूजा से जुड़े जरूरी नियम

मार्गशीर्ष मास में स्नान और दान का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. ऐसे में यदि संभव हो तो इस मास में प्रतिदिन किसी पवित्र नदी जैसे गंगा, यमुना आदि में स्नान करना चाहिए. इस मास में न सिर्फ लक्ष्मी नारायण बल्कि सूर्य नारायण की ​पूजा का भी विशेष पुण्यफल प्राप्त होता है.

ऐसे में प्रतिदिन स्नान के बाद सूर्य देव को विशेष रूप से अर्घ्य दें तथा दैनिक पूजा में श्री कृष्ण के मंत्रों का जप या फिर गीता और श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें. मार्गशीर्ष मास को पितरों की पूजा के लिए भी उत्तम माना गया है. ऐसे में इस मास में व्यक्ति को पितरों की आत्मा की शांति और उनकी मोक्ष प्राप्ति के लिए विशेष रूप से तर्पण और श्राद्ध आदि करना चाहिए. 

Advertisement

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
Bihar Bhojpur Violence: भोजपुर में जनसंपर्क दौरान बवाल, पांच घायल, पुलिस अलर्ट | Breaking News