Margashirsha Amavasya 2022: मार्गशीर्ष मास की अमावस्या 23 नवंबर को यानी आज है. हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि अमावस्या के दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या पर 3 शुभ योग बन रहे हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ये तीनों योग पूजा-पाठ इत्यादि कार्यों के लिए शुभ माने गए हैं. आइए जानते हैं मार्गशीर्ष अमावस्या पर बनने वाले शुभ योग, पूजा विधि और इस दिन क्या करें और क्या नहीं.
मार्गशीर्ष अमावस्या पर बन रहे हैं ये 3 शुभ योग | Margashirsha Amavasya 2022 Shubh Yog
मार्गशीर्ष अमावस्या पर आज सुबह से ही शोभन योग लगा हुआ है. इसके साथ ही शोभन योग दोपहर 3 बजकर 40 मिनट तक है. वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग रात 9 बजकर 37 मिनट से शुरू हो रहा है जो कि अगले दिन यानी 24 नवंबर को सुबह 6 बजकर 51 मिनट तक रहेगा. वहीं इस अमावस्या पर अमृत सिद्धि योग रात 9 बजकर 37 मिनट से अगले दिन सुबह 6 बजकर 51 मिनट तक है. बता दें कि मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि की शुरुआत 23 नवंबर को सुबह 6 बजकर 53 मिनट से हो रही है. जबकि अमावस्या तिथि की समापन 24 नवंबर को सुबह 4 बजकर 26 मिनट तक है.
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मार्गशीर्ष अमावस्या पूजा विधि | Margashirsha Amavasya 2022 Puja Vidhi
- अमावस्या पर सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहने और व्रत का संकल्प लें.
- इसके बाद सूर्य देव और पितर देवता को जल अर्पित करें. ऐसा करने से घर से कलह और दरिद्रता दूर होती है.
- इसके बाद पीपल के वृक्ष की पूजा और परिक्रमा करें क्योंकि पीपल के वृक्ष में ईश्वर का वास माना गया है.
- मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन तुलसी की 108 बार परिक्रमा से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है.
- भगवान विष्णु की पूजा कर उन्हें पीले पुष्प, पीला वस्त्र, चंदन, सुपारी, कुमकुम अर्पित करें.
- घी का दीपक और धूप जलाकर आराधना करें.
- इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और गरीबों या जरूरतमंदों को दान दें.
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन क्या करें क्या ना करें | Margashirsha Amavasya 2022 Dos and Donts
- मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन सात्विक रहकर ब्रह्मचर्य का पालन करना अच्छा होता है.
- इस दिन किसी दूसरे के घर में भोजन करने से बचना चाहिए.
- किसी से लड़ाई-झगड़ा या अपशब्द कहने से परहेज करें.
- सुबह उठकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें और भगवान विष्णु का पूजन करें.
- शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए और न ही तेल की मालिश करें.
- चद्रं दोष से पीड़ित लोग गाय को दही या चावल खिलाएं.
- पीपल के वृक्ष का पूजन कर उसकी परिक्रमा करनी चाहिए.
-नाख़ून और सर के बाल नहीं काटने चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)