Margashirsha Amavasya 2022: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का खास महत्व है. इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण करने का विधान है. मान्यता है कि इस दिन पितरों के लिए तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. इसके साथ ही तर्पण करने वालों का घर-परिवार खुशहाल रहता है. इसके अलावा इस दिन पवित्र नदी में स्नान के बाद दान करने के अपार पुण्य की प्राप्ति होती है. पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की अमावस्या तिथि 23 नवंबर, बुधवार को यानी आज है. आइए जानते हैं कि मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन किस प्रकार पितरों का तर्पण किया जाता है.
मार्गशीर्ष अमावस्या 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त | Margashirsha Amavasya 2022 Date, Shubh Muhurat
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की अमावस्या तिथि 23 नवंबर को सुबह 6 बजकर 53 मिनट से शुरू हो रही है. वहीं अमावस्या तिथि का समापन 24 नवबर, गुरुवार को सुबह 4 बजकर 53 मिनट पर होगी. ऐसे में मार्गशीर्ष अमावस्या के निमित्त स्नान, दान और पितरों के लिए तर्पण 23 नवंबर को किया जाएगा. इस दिन स्नान और दान के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 06 मिनट से सुबह 6 बजकर 52 मिनट तक है.
मार्गशीर्ष अमावस्या पर ऐसे करें पितरों का तर्पण
शास्त्रों के मुताबित पितरों को जल अर्पण करने की विधि को तर्पण कहते हैं. इस विधि में हाथों में कुश और तिल लेकर पितरों का ध्यान किया जाता है. इसके बाद पितरों को अभिमंत्रित करते हुए 'ॐ आगच्छन्तुमे पितर एवं गृह्णन्तु जलान्जलिम' इस मंत्र को बोलते हुए पितरों को तिलांजलि दी जाती है.
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माता का तर्पण कैसे करें
मान्यता के अनुसार, इस दिन अपने गोत्र का नाम लेते हुए गोत्रे अस्मन्माता (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः. इस मंत्र को पढ़कर जलांजलि पूर्व दिशा में 16 बार, उत्तर दिशा में 7 बार और दक्षिण दिशा में 14 बार दें. इस प्रकार तर्पण करने से पितर संतुष्ट होते हैं.
पिता और पितामह का तर्पण कैसे करें
मार्गशीर्ष अमावस्या पर पिता का तर्पण करते वक्त अपने गोत्र का नाम लेते हुए इस मंत्र को बोलें, गोत्रे अस्मतपिता (पिता का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः. ऐसे करते हुए गंगाजल या फिर जल के साथ दूध, तिल और जौ को मिलाकर 3 बार पिता को जलांजलि दें. इसी तरह पितामह का तर्पण करते समय अस्मत पिता की जगह अस्मतपितामह का इस्तेमाल करें.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)