Mangla Gauri Vrat: आज मंगला गौरी व्रत के दिन पढ़ें कथा, इस विधि से की जा सकती है पूजा 

Mangla Gauri Vrat Katha: सावन का छठा मंगला गौरी व्रत रखा जा रहा है आज. पढ़िए पूजा का शुभ मुहूर्त और कथा. 

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Mangla Gauri Vrat Puja Vidhi: यहां पढ़ें मां मंगला गौरी की कथा. 
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Mangla Gauri Vrat 2023: सावन के हर मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत रखा जाता है. मंगला गौरी व्रत के दिन मां पार्वती की विशेष पूजा-आराधना की जाती है. इस व्रत को विशेषकर सुहागिन महिलाएं रखती हैं. माना जाता है कि मंगला गौरी व्रत रखने पर सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है, संतान प्राप्ति होती है और मां मंगला देवी (Maa Mangla Devi) अपनी कृपा भक्तों पर बनाए रखती हैं. इस दिन पूजा करने के लिए महिलाएं सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करती हैं. स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद मां पार्वती की प्रतिमा आसन पर रखकर उनके समक्ष सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित की जाती है. मां गौरी के मंत्रों का जाप होता है, कथा सुनी जाती है और आरती करने के बाद भोग लगाकर पूजा समाप्त होती है. 

Mangla Gauri Vrat: मंगला गौरी व्रत में कैसे करें पूजन, किन मंत्रों का होता है जाप और क्यों रखते हैं व्रत, जानिए यहां 

मंगला गौरी व्रत कथा | Mangla Gauri Vrat Katha 

मंगला गौरी व्रत से एक बहुप्रचलित पौराणिक कथा जुड़ी हुई है. इस कथा के अनुसार प्राचीन समय में धर्मपाल नामक सेठ रहता था जिसके पास धन की कोई कमी नहीं थी. यह सेठ सर्वगुण संपन्न था और भगवान शिव (Lord Shiva) का परम भक्त भी था. सेठ धर्मपाल की शादी एक गुणवान बहु से हुई थी लेकिन उन्हें कोई संतान नहीं थी. संतान प्राप्ति की कोशिश में दोनों पति-पत्नी लंबे समय से जुटे हुए थे. सेठ ने एक पंडित से पूछा तो उन्होंने महादेव और माता पार्वती की पूजा करने की सलाह दी. इसके बाद दोनों पति-पत्नी महादेव और मां गौरी की उपासना करने लगे. 

इस उपासना से प्रसन्न होकर महादेव और मां पार्वती ने धर्मपाल की पत्नी के समक्ष प्रकट होकर उसे कहा कि वह जो वरदान मांगना चाहे मांग सकती है. इसपर धर्मपाल की पत्नी ने संतान प्राप्ति की इच्छा जताई. भगवान शिव और मां पार्वती (Maa Parvati) ने धर्मपाल और उसकी पत्नी को संतान का वरदान दिया लेकिन साथ में यह भी बताया कि संतान अल्पायु होगी. 

धर्मपाल के घर पुत्र ने जन्म लिया. ज्योतिष से सलाह लेने के पश्चात धर्मपाल ने अपने पुत्र की शादी ऐसी कन्या से करवाई जो मंगला गौरी व्रत रखा करती थी. समय बीतने पर पता चला कि धर्मपाल के पुत्र की मृत्यु नहीं हुई और वह दीर्घायु तक जी पाया. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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