काशी में जलती चिताओं के बीच नगरवधुओं ने किया डांस, 300 साल से ज्यादा पुरानी है यह परंपरा

काशी के महाश्मशान, मणिकर्णिका घाट पर जलती हुई चिताओं के बीच नगरवधुएं रात भर डांस करती हैं, यह परंपरा करीब 300 साल से ज्यादा पुरानी मानी जाती है.

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वाराणसी:

हमारा देश विविधताओं का देश है, यहां अलग-अलग परंपराएं और मान्यताओं के लिए जगह भी है और उनकी अपनी अहमियत भी है. वहीं कुछ परंपराएं ऐसी भी हैं जो आपको हैरत में डाल सकती हैं. बनारस यानी काशी से जुड़ी एक ऐसी ही परंपरा है. काशी के महाश्मशान, मणिकर्णिका घाट (mahashamsahan manikarnika ghat) पर जलती हुई चिताओं के बीच नगरवधुएं (nagar vadhu ) रात भर डांस करती हैं, यह परंपरा करीब 300 साल से ज्यादा पुरानी मानी जाती है.



ऐसी है परंपरा


परंपरा के अनुसार, चैत्र नवरात्र की सप्तमी की रात मणिकर्णिका घाट पर जलती हुई चिताओं के बीच नगरवधुएं डांस करती हैं.  ये परंपरा तब शुरू हुई जब राजा मानसिंह ने महाकाल के मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था. इसके बाद नगर वधुओं ने महाश्मशान के आयोजन में पहुंच कर नृत्य किया. अब ये परंपरा लगातार वर्षों से चली आ रही है.



ऐसी है इससे जुड़ी कहानी


साढ़े तीन सौ साल से अधिक की परंपरा के मुताबिक इस महासप्तमी यानी शुक्रवार रात नगर वधुएं बाबा मशान नाथ के दरबार में नृत्य करने पहुंची. करीब तीन सौ साल पहले राजा मानसिंह ने प्राचीन नगरी काशी में बाबा मशान नाथ के मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था. इस मौके पर राजा मानसिंह एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन कराना चाहते थे, लेकिन कोई भी कलाकार श्मशान घाट पर जाकर अपनी कला का प्रदर्शन करने को तैयार नहीं था. हालांकि जब इसकी जानकारी काशी की नगरवधुओं को हुई तो वे  श्मशान घाट पर होने वाले इस उत्सव में नृत्य करने को तैयार हो गईं और भव्य उत्सव का आयोजन हुआ. तब से आज तक चैत्र नवरात्रि की सप्तमी पर देर शाम मणिकर्णिका घाट पर इस उत्सव का आयोजन होता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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