Magh Purnima 2022: आज है माघ पूर्णिमा, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

माघ पूर्णिमा (Magh Purnima 2022) आज 16 फरवरी यानि बुधवार को है. माघ मास के अंतिम दिन की तिथि को माघी पूर्णिमा कहते हैं. मान्यता है कि आज के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद दान आदि करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं माघ पूर्णिमा के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि.

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Magh Purnima 2022: आज माघ पूर्णिमा पर बन रहा है ये विशेष संयोग
नई दिल्ली:

शास्त्रों में पूर्णिमा (Purnima 2022) तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. हर माह में आने वाली पूर्णिमा का अपना अलग महत्व होता है, लेकिन इन में से कुछ पूर्णिमा विशेष महत्व होता है. हिंदू धर्म में माघ माह (Magh Month) में आने वाली पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा और माघ पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. माघ पूर्णिमा (Maghi Purnima) के दिन चंद्रदेव और भगवान श्री हरि विष्णु (Lord Vishnu) की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने का विधान है.

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माघ पूर्णिमा (Magh Purnima 2022) आज 16 फरवरी यानि बुधवार को है. माघ मास के अंतिम दिन की तिथि को माघी पूर्णिमा कहते हैं. मान्यता है कि आज के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद दान आदि करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं माघ पूर्णिमा के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि.

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शोभन योग का हो रहा निर्माण

आज 16 फरवरी (बुधवार) को पड़ने वाली माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) के दिन अश्लेषा नक्षत्र लग रहा है. माना जा रहा है कि इस दिन चंद्रमा कर्क राशि में विराजमान होगा, जिसके चलते शोभन योग का निर्माण हो रहा है, जिसे काफी शुभ संयोग माना जा रहा है.

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माघ पूर्णिमा तिथि | Maghi Purnima 2022 Tithi

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 16 फरवरी 2022, बुधवार प्रातः 09: 42 मिनट पर.

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 16 फरवरी 2022, बुधवार रात्रि  10: 55 मिनट पर.

शोभन योग- रात्रि 08: 43 मिनट तक.

माघी पूर्णिमा पूजन विधि | Maghi Purnima 2022 Pujan Vidhi

  • माघ पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में गंगा नदी या पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना गया है.
  • यदि संभव ना हो तो गंगाजल को जल में मिलकर स्नान कर सकते हैं.
  • स्नान के उपरांत 'ॐ नमो नारायणाय' मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य दें.
  • तिलांजलि देने के लिए सूर्य की ओर मुख करके खड़े हो जाएं और फिर जल में तिल डालकर उसका तर्पण करें.
  • विधि-विधान से सूर्य देव की पूजा-अर्चना करें.

  • भगवान को चरणामृत, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल, फूल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि चीजें अर्पित करें.
  • पूजा के आखिर में आरती और प्रार्थना करें.
  • पूजा  के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को दान दक्षिणा दें.
  • संभव हो तो ब्राह्मणों को भोजन कराएं.
  • माना जाता है कि इस दिन दान का भी विशेष महत्व है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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