आज (गुरुवार) के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है. भगवान विष्णु पूरे जगत का पालन और कल्याण करते हैं, जिस वजह से उन्हें पालनहार कहा जाता है. भगवान श्री हरि विष्णु हिन्दू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है. भगवान शिव और भगवान ब्रह्मा के साथ, वह हिंदू धर्म में त्रिदेव कहलाते हैं. भगवान विष्णु ब्रह्मांड के संरक्षक है. साथ ही वे राजसिक तत्व के देवता भी हैं. शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री हरि के कई अवतार हैं. मान्यता है कि पाप और कष्टों से मुक्ति दिलाने वाले भगवान श्री हरि की पूजा भक्ति करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है. अगर आप गुरुवार का व्रत रखते हैं तो शाम के समय भगवान विष्णु जी की आरती (Vishnu Ji Ki Aarti) करना बिल्कुल न भूलें.
आरती का महत्व (Importance Of Aarti)
शास्त्रों के अनुसार जिस घर में सुबह-शाम भगवान श्री हरि का भजन कीर्तन होता है, उस घर में दरिद्रता का वास नहीं होता. वह घर हमेशा खुशियों से भरा रहता है. वहीं, गुरुवार के दिन जो लोग व्रत रहते हैं, वे लोग केले के पौधे की पूजा करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, केले के पौधे में भगवान विष्णु का वास होता है. भगवान विष्णु की पूजा करते समय अंत में आरती करने का विधान है. आरती करने से पूजा पूर्ण होती है. ऐसी मान्यता है कि पूजा में जो त्रुटि होती है, वह आरती करने से पूर्ण हो जाती है, इसलिए आरती की जाती है.
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आरती शुरू करने से पहले पढ़ें ये मंत्र (Read This Mantra Before Starting The Aarti)
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्,
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ।
भगवान विष्णु की आरती (Aarti Of Lord Vishnu)
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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