Laxmi Puja: शुक्रवार के दिन ऐसे करें धन और यश की देवी मां लक्ष्मी का पूजन 

धन की देवी मां लक्ष्मी जी की शुक्रवार के दिन विधिवत पूजा की जाती है. मान्यता है कि शुक्रवार को मां लक्ष्मी का पूजन करने से उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है और धन-धान्य में कोई कमी नहीं रहती है.

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Laxmi Puja: शुक्रवार के दिन ऐसे करें मां लक्ष्मी की पूजा
नई दिल्ली:

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित होता है. आज के दिन मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. शास्त्रों में माता लक्ष्मी को चंचला भी कहा गया है. मान्यता है कि शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी का पूजन और व्रत करने से घर में धन-धान्य में कोई कमी नहीं रहती है. शुक्रवार के दिन लक्ष्मी वैभव व्रत भी किया जाता है. यह व्रत पुरुष और महिलाएं दोनों कर सकते हैं. ये व्रत 21 शुक्रवार तक किए जाते हैं. व्रत पूरा होने के बाद शुक्रवार के दिन उद्यापन किया जाता है. अगर आप भी मां लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन माता की उपासना कर सकते हैं. आइए जानते हैं पूजा विधि.

मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार को किया जाता है इन मंत्रों का जाप


माता लक्ष्मी की पूजा की विधि

मां लक्ष्मी की पूजा संध्याकाल में करने का विधान है. आप चाहे तो दोनों पहर में उनकी पूजा-आराधना कर सकते हैं.
शुक्रवार के दिन ब्रह्म बेला में उठकर मां लक्ष्मी का ध्यान कर दिन की शुरुआत करें.
गंगाजल युक्त पानी से स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें.
अब भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें. 
घर के मंदिर में माता का स्मरण करते हुए दीप जलाएं.


मां लक्ष्मी को लाल-गुलाबी फल, फूल, धूप-दीप आदि भेंट पूजा विधि पूर्वक करें.
शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी को लाल गुलाब अवश्य भेंट करें. यह माता को अति प्रिय है.
इस दिन आप व्रत भी कर सकते हैं.
पूजा के समय माता को लाल रंग युक्त चूड़ी, चुनरी, श्रृंगार समाग्री अवश्य भेंट करें.
शुक्रवार के दिन श्री लक्ष्मी नारायण पाठ करें.
पूजा के समय लक्ष्मी स्तुति करना अति उत्तम माना जाता है.
इस दिन मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं. 
पूजा के आखिर में माता की आरती उतारें.

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आरती के बाद इन मंत्रों का करें जाप

आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।

यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।

पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

श्रियमुनिन्द्रपद्माक्षीं विष्णुवक्षःस्थलस्थिताम्॥

वन्दे पद्ममुखीं देवीं पद्मनाभप्रियाम्यहम्॥

सन्धया रात्रिः प्रभा भूतिर्मेधा श्रद्धा सरस्वती॥
 

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।

लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्

वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥


ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये,

धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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