Snake Bite: राजस्थान के पाली जिले में एक मुस्लिम महिला अफसाना बानो को जब बीते छह महीने में सांप ने आठ बार काटा और उसे वेंटिलेटर तक ले जाना पड़ा तो लोगों के मन में इस घटना को लेकर तमाम तरह के सवाल उठने लगे. महिला को बार-बार सांप काटने की घटना के पीछे जहां ज्योतिषीगण ग्रह-नक्षत्रों का योग बता रहें हैं तो वहीं विज्ञान पर भरोसा करने वाले इसे आम घटना बताते हुए भ्रम से बचने की सलाह दे रहे हैं. सर्पदंश की इस रहस्मयी घटना का सच जानने के लिए ज्योतिषविद और साइंटिस्ट दोनों के तर्कों को आइए विस्तार से जानने-समझने का प्रयास करते हैं.
सर्पदंश और सर्पभय के लिए कौन से ग्रह-नक्षत्र हैं जिम्मेदार?
ज्योतिष (Astrology) शास्त्र की प्रोफेसर डॉ. दीप्ति श्रीकुंज के अनुसार ज्योतिष में ऐसी घटनाओं को शनि और चंद्र से बनने वाले विषयोग से जोड़कर देखा जाता है. यदि वृश्चिक राशि में चंद्र अथवा शनि के साथ कंबीनेशन बन रहा है तो वह सर्पदंश योग बनेगा. खास तौर पर तब जब वह लग्न चार्ट में, नवमांश आदि में लगातार बनता जाता है. प्रो. दीप्ति के अनुसार यदि चंद्रमा वृश्चिक राशि में हो और वहां पर शनि उसे तीसरी, सातवी या दसवी दृष्टि से आस्पेक्ट करे तो यह विषय और भी ज्यादा चिंतन करने लायक हो जाता है.
डॉ. दीप्ति श्रीकुंज के मुताबिक वृश्चिक राशि का संबंध कीट पतंगों आदि से है, ऐसी स्थिति शनि जब कभी भी मारक स्थिति में पहुंचता है तो उसे अपने बीते जन्म के प्रारब्ध का भोग करना ही पड़ता है. इसलिए किसी व्यक्ति की कुंडली के लग्न चार्ट में, नवमांश चार्ट में, द्वादशांश चार्ट, में त्रिशांश चार्ट, षटत्रिशांश चार्ट में अगर यह कंबीनेशन बन रहा है तो उसे सर्पदंश का खतरा बना रहेगा.
क्या कहते हैं अंकशास्त्र के जानकार?
वहीं अंकशास्त्र के जानकार सुरेश व्यास सर्पदंश की घटना को ग्रहों का खेल बताते हुए कहते हैं कि इसके पीछे चन्द्रमा और राहू का ग्रहण योग जिम्मेदार है. उनके मुताबिक ये मंगल की युति और राहू के साथ शनि की महादशा की वजह से हो रहा हो रहा है. ऐसे में उस महिला को सतर्क रहना होगा. सुरेश व्यास के अनुसार सर्पदंश से बचने के लिए उस मुस्लिम महिला को चन्द्र ग्रहण के समय विशेष सावधानी रखनी होगी.
हर बार अस्पताल में बचती है जान
सर्पदंश से पीड़ित महिला हर बार मौत के मुंह से इसलिए बचकर निकल आ रही है क्योंकि उसे समय पर इलाज के लिए अस्पताल पहुंचा दिया जाता है. पाली मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के पूर्व आचार्य और विभागाध्यक्ष डॉ. एच. एम. चौधरी के अनुसार जब किसी व्यक्ति को सर्पदंश के लिए अस्पताल में लाया जाता है तो उसके ब्लड सैंपल को बीस मिनट तक रखकर यह चेक किया जाता है कि उसमें क्लॉट बना या नहीं. यदि क्लॉट बनता है तो इसका अर्थ होता है कि सांप जहरीला नहीं था, लेकिन क्लाट नहीं बनता है तो यह मान लिया जाता है कि सांप जहरीला था. इसी के आधार पर सर्पदंश का इलाज आगे किया जाता है. डॉ. एच. एम. चौधरी के अनुसार बार-बार सांप के काटने से व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडीज बन जाती है.
बार-बार सांप का काटना महज एक संयोग है
जिस सर्पदंश की घटना को ज्योतिषीगण एक विशेष प्रकार के विषयोग या तमाम तरह के ग्रह-नक्षत्रों से जोड़ रहे हैं, उसे विज्ञान पर भरोसा करने वाले तर्कवादी लोग सिरे से नकार रहे हैं. साइंटिस्ट डॉ. के. त्यागी के अनुसार किसी भी व्यक्ति को चार-पांच बार काट लेना महज एक संयोग भर है. विशेष तौर पर बरसात के मौसम में इस तरह की घटनाएं देश के तमाम हिस्सों में देखने को मिल जाएंगी क्योंकि सर्प कभी भी अपने रहने का स्थान नहीं बनाता है और वह चूहे के बनाए बिल आदि में रहता है.
डॉ. के. त्यागी के अनुसार बारिश के मौसम में बिलों में पानी भर जाता है, इसलिए सर्प नया ठिकाना ढ़ूढ़ने के लिए मजबूरी में बाहर निकलता है. भारत में जितने भी सांप पाए जाते हैं उनमें सिर्फ 10-15 प्रतिशत ही जहरीले होते हैं. सांप जब डरता है तभी वह अपने बचाव में काटता है. ऐसी स्थिति में यदि व्यक्ति को इलाज के लिए अस्पताल ले जाते है, तो निश्चित रूप से बचाव होता है.
सर्प दोष से मुक्ति के लिए यहां होता है विशेष अनुष्ठान
बहरहाल, देशभर में हर साल होने वाली सर्पदंश की तमाम घटनाओं के बीच कई ऐसे स्थान हैं जहां पर इससे बचने के लिए नागदेवता की विशेष पूजा का विधान है. महाराष्ट्र की कुंभ नगरी कहलाने वाले नासिक के त्र्यंबक क्षेत्र सर्पदोष से मुक्ति के लिए विशेष नागबली की पूजा होती है. हिंदू मान्यता के अनुसार जिन लोगों के द्वारा जाने-अनजाने में सर्प हत्या हुई होती है, उस दोष से मुक्ति दिलाने के लिए त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के पावन क्षेत्र में सांप की मूर्ति बनाकर उसका अंतिम संस्कार किया जाता है, ताकि व्यक्ति का सर्प दोष दूर हो जाए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)