धर्म और संस्कृति का संगम कुंभ मेला यूनेस्को की लिस्ट में है शामिल, यहां जानिए इसका पौराणिक महत्व

Kumbh mela significance : कुंभ मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय सभ्यता और संस्कृति का जीवंत प्रतीक भी है, जिसे यूनेस्को जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन ने पहचान दी है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
यूनेस्को ने कुंभ मेला को 2017 में अपनी "मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर" की सूची में शामिल किया.

Kumbh mela 2025 : कुंभ मेला भारत में आयोजित होने वाला एक विश्वप्रसिद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक महोत्सव है. यह मेला हर 12 साल में एक बार चार प्रमुख तीर्थ स्थलों- प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है, जहां देश-विदेश से हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लाखों श्रद्धालु पवित्र नदी में स्नान करते हैं और सुख शांति की कामना करते हैं. आपको बता दें कि इस बार महाकुंभ मेला (Mahakumbh mela kab hai) 13 जनवरी से प्रयागराज में आयोजित किया जा रहा है, जो 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन समाप्त होगा. कुंभ मेले के आयोजन स्थल को लेकर कुछ लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर यह इन्हीं 4 शहरों में ही क्यों लगता है? तो आपको बता दें इसके पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसके बारे में आगे आर्टिकल आपको बताया जा रहा है.

Mahakumbh Mela 2025: जानिए कब और कहां शुरू हो रहा है महाकुंभ मेला, शाही स्नान की मुख्य तिथियां ये रहीं

कुंभ मेला का पौराणिक महत्व - Mythological significance of Kumbh Mela

कुंभ मेला "सागर मंथन" से जुड़ा हुआ है. पुराणों के अनुसार, जब देवताओं और दानवों ने मिलकर सागर मंथन किया, तो अमृत कलश (कुंभ) प्रकट हुआ, जिसको लेकर देवता और दैत्यों के बीच युद्ध शुरू हो गया. इस युद्ध के दौरान अमृत कलश को देवताओं ने अपने कब्जे में ले लिया.

Advertisement

मान्यता है कि इस दौरान अमृत कलश की कुछ बूंदें पृथ्वी के चार स्थानों पर गिरी थीं वो है प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक. यही कारण है ये चार स्थान कुंभ मेला के आयोजन स्थल बने और यहां श्रद्धालु पवित्र स्नान करने आते हैं ताकि वे अपने पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकें और पुण्य कमा सकें. 

Advertisement

आपको बता दें कि यह मेला भारतीय धार्मिक परंपरा और आस्थ का प्रतीक है, जिसमें विशेष रूप से "स्नान" की महिमा का वर्णन किया जाता है. कहा जाता है कि जब भक्त पवित्र नदियों (गंगा, यमुना, गोदावरी और शिप्रा ) में स्नान करते हैं, तो वे न केवल शारीरिक रूप से शुद्ध होते हैं, बल्कि मानसिक और आत्मिक शुद्धि भी प्राप्त करते हैं.

Advertisement

यूनेस्को लिस्ट में कुंभ मेला - Kumbh Mela in UNESCO list

यूनेस्को ने कुंभ मेला को 2017 में अपनी "मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर" की सूची में शामिल किया. यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होने से कुंभ मेला का महत्व और भी बढ़ गया है और यह सुनिश्चित करता है कि यह अद्भुत धरोहर आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित रहेगी.

Advertisement

यहां पर आयोजित होने वाले विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, साधुओं और संतों के प्रवचन, और परंपरागत रीति-रिवाज भारतीय संस्कृति की जड़ें मजबूत करते हैं. इसलिए, कुंभ मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय सभ्यता और संस्कृति का जीवंत प्रतीक भी है, जिसे यूनेस्को जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन ने पहचान दी है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
Dr. Manmohan Singh के निधन पर पूर्व IPS अधिकारी और UP सरकार में मंत्री Asim Arun ने क्या कहा?
Topics mentioned in this article