15 या 16 अगस्त? शास्त्रों के अनुसार किस तारीख को रखें जन्माष्टमी का व्रत, दूर करें सारा कन्फ्यूजन

Krishna Janmashtami Vrat 2025: श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर हर साल की तरह इस बार भी लोगों में असमंजस बना हुआ है. ​तिथि, नक्षत्र और समय को लेकर क्या कहते हैं धर्माचार्य? शास्त्रों के अनुसार आखिर किस दिन रखें व्रत और किस समय जपें कान्हा का मंत्र, जानें धर्म-मर्मज्ञ और ज्योतिषविद् आचार्य राज मिश्र से.

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श्री कृष्ण की कृपा पाने के लिए किस तारीख को रखें जन्माष्टमी का व्रत?

Krishna Janmashtami 2025 date and time: हिंदू धर्म में भगवान श्री कृष्ण की पूजा एवं व्रत सभी प्रकार की कामनाओं को पूरा करने वाला माना गया है. यही कारण है कि हर कृष्ण भक्त इस व्रत को करने के लिए पूरे साल जन्माष्टमी पर्व का इंतजार करता है. इस साल जन्माष्टमी व्रत को किस दिन रखा जाए, उसे लेकर लोगों में हर साल की भांति कन्फ्यूजन बना हुआ है. पंचांग और शास्त्र के अनुसार किस दिन कान्हा के लिए व्रत रखना उचित रहेगा? आइए व्रत की तारीख और पूजा और मंत्र जप आदि का सही समय धर्म के मर्मज्ञ और जाने-माने ज्योतिषविद् आचार्य राज मिश्र से जानते हैं. 

किस चीज को लेकर है कन्फ्यूजन 

भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को लेकर पौराणिक शास्त्र कहते हैं कि बुधवार को रोहिणी नक्षत्र में अर्धरात्रि कालीन चंद्रमा वृष राशि में जब स्थित था, तब उनका जन्म हुआ. जिसे हर साल मनाए जाने वाले कान्हा के जन्मोत्सव के दौरान मिल पाना मुश्किल होता है और इन्हीं सब चीजों में से कुछ के रहने और कुछ के न रहने पर अक्सर लोगों के सामने असमंजस की स्थिति बनी रहती है. इस बार भी कुछ यही स्थिति सामने हैं. सभी चीजें एक साथ नहीं मिल पा रही हैं. 

आचार्य राज मिश्रा के अनुसार इस साल भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि 15 अगस्त 2025 की रात को 11:50 बजे प्रारंभ होगी और 16 अगस्त 2025 को रात्रि 09:35 बजे खत्म हो जाएगी. इस तरह देखें तो अष्टमी तिथि जिसमें भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है वह 15 अगस्त 2025 को ही प्राप्त हो रही है. लेकिन हमारे शास्त्र कहते हैं कि सप्तमी युता अष्टमी नहीं ग्रहण करनी चाहिए. हालां​कि शास्त्र यही भी कहता है कि जिस समय जिस देवता का जन्म हुआ, उसी समय उस देवता का जन्मोत्सव मनाना चाहिए. 

शास्त्रों में बताया गया है ऐसी समस्या का समाधान 

व्रत की जिस तारीख को लेकर आम लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है उस समस्या का समाधान हमारे शास्त्रों में बताया गया है. आचार्य राज मिश्र के अनुसार यदि सूर्योदय के बाद यदि कोई तिथि तीन घड़ी यानि लगभग 72 मिनट तक विद्ममान है तो उस तिथि को पूरे दिन स्वीकार किया जा सकता है. इस साल 15 अगस्त 2025 को 11:50 की रात्रि को प्रारंभ होने वाले अष्टमी तिथि सूर्योदय के समय एक समय भी भगवान के जन्म से पहले नहीं प्राप्त हो रही है, जबकि 16 तारीख को ये तिथि पूरे दिन सूर्यास्त के बाद भी रात्रि 09:35 बजे तक रहेगी. 

कब मनाया जाएगा जन्माष्टमी का पर्व 

आचार्य राज मिश्र के अुनसार मथुरा में मनाए जाने वाले कान्हा के जन्मोत्सव में नवमी युक्ता अष्टमी को स्वीकार किया जाता है क्योंकि द्वापरयुग में भगवान का जन्म रात्रि को हुआ और मथुरावासियों को सुबह लोगों को पता लगा कि नंद के घर आनंद यानि भगवान श्री कृष्ण् का जन्म हुआ है. ऐसी स्थिति में शास्त्र के अनुसार इस साल 16 अगस्त 2025 को ही जन्माष्टमी का पर्व मनाना उचित रहेगा. 

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किस दिन करें मंत्र साधना

आचार्य राज मिश्र के अनुसार यदि आप किसी कामना को लेकर कान्हा के मंत्र को जपना चाहते हैं तो इसके लिए 15 अगस्त 2025 की रात्रि का समय ही सबसे शुभ और फलदायी रहने वाला है, लेकिन यदि आप यदि कान्हा का जन्मोत्सव मनाना चाहते हैं तो उसके लिए 16 अगस्त 2025 का दिन ही सभी प्रकार से शुभता लिए हुए है. 16 अगस्त का दिन भगवान श्री कृष्ण के व्रत, पूजन और मंदिर में जाकर दर्शन आदि के लिए अत्यंत ही शुभ रहने वाला है. 

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अगर रखना हो जन्माष्टमी का व्रत 

यदि आप भगवान श्री कृष्ण का व्रत रखना चाहते हैं तो आपको 15 अगस्त 2025 की रात्रि 11:50 से पहले जो भी भोजन करना हो कर लें, उसके बाद जब अष्टमी तिथि लग जाए तो आपको भोजन नहीं करना चाहिए. इसके बाद यदि आप चाहें तो फलहार ले सकते हैं. व्रत के नियम बच्चे, बुजुर्ग और मरीजों पर पूरी तरह से लागू नहीं होते हैं. वे अपनी आस्था और सामर्थ्य के अनुसार जितना संभव हो सके उसका पालन कर सकते हैं. 

जन्माष्टमी व्रत का उपाय

व्रत के दौरान व्यक्ति को यदि समय मिले तो उसे भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र का जप तुलसी या फिर चंदन की माला से करना चाहिए. श्रीकृष्ण भगवान का मंत्र आप अपनी श्रद्धा और विश्वास के अनुसार चुन सकते हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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