21 या 22 को आखिर कब मनाएं कान्हा की छठी, जानें पूजा की सही तारीख, विधि और महत्व

krishna ki chhathi kab hai 2025: जन्माष्टमी के बाद आखिर अब कब और किस शुभ मुहूर्त में मनाई जाएगी कान्हा की छठी? पूजा की तारीख हो या फिर उसे मनाने की विधि को लेकर कोई कन्फ्यूजन तो उसे दूर करने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख. 

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भगवान श्री कृष्ण की छठी पूजा कब और कैसे मनाएं?

Krishna Chatti 2025 Date: सनातन परंपरा में जन्माष्टमी का पर्व मनाने वाले हर भक्त को छठवें दिन मनाए जाने वाली कान्हा की छठी पूजा का बेसब्री से इंतजार रहता है. इसके लिए लोग जन्मोत्सव की भांति अपने पूजाघर या फिर मंदिर को सजाते हैं और सुबह से लेकर शाम तक कीर्तन-भजन और पूजन चलता है. इस पर्व को कृष्ण भक्त बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं. कान्हा को भोग लगाने के लिए इस दिन तमाम तरह के भोज्य पदार्थ जैसे कढ़ी, चावल, पंचामृत आदि तैयार किया जाता है. श्री कृष्ण की छठी पूजा में इन चीजों के साथ फल, फूल, माखन, मिश्री, तुलसी पत्र आदि विशेष रूप से अर्पित किया जाता है. आइए कान्हा की छठी के बारे में विस्तार से जानते हैं. 

कब मनाएं कान्हा की छठी 

धर्म और कर्म के मर्मज्ञ पं. राम गणेश मिश्र के अनुसार किसी भी बच्चे की छठी उसके जन्म से छठवें दिन मनाई जाती है. इस नियम को आधार मानते हुए जिन लोगों ने इस साल 15 अगस्त 2025 को कान्हा का व्रत रखते हुए उनका जन्मोत्सव मनाया है वे 21 अगस्त 2025 को और जिन्होंने उदया तिथि को आधार मानते हुए 16 अगस्त 2025 को जन्माष्टमी का पर्व मनाया था, वे लोग 22 अगस्त 2025 के दिन दोपहर या शाम के समय उनकी छठी मनाएंगे.

Photo Credit: PTI

​किस विधि से करें कान्हा की छठी पूजा

प्रत्येक व्यक्ति अपने लड्डू गोपाल की अपनी आस्था के अनुसार छठी पूजा का समय चुनता है. कोई यह पूजा दोपहर में तो कोई शाम के समय करता है. यदि आप दोपहर के समय कान्हा की छठी मना रहे हैं तो इसके लिए  सुबह 11:58 से दोपहर 12:50 तक अभिजित मुहूर्त अत्यंत ही शुभ रहने वाला है. कान्हा की छठी पूजा करने से पहले आप तन-मन से पवित्र हो जाएं फिर उसके बाद पूजा की सभी सामग्री अपने पास रख लें. इसके बाद जिस तरह आम बच्चे की छठी मनाने से पहले उसका स्नान कराया जाता है, कुछ वैसे ही कान्हा को स्नान कराएं. 

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भगवान श्री कृष्ण को पहले पंचामृत से फिर गंगाजल से स्नान कराएं और फिर उन्हें साफ कपड़े से पोंछने के बाद नए वस्त्र और आभूषण आदि से विशेष श्रृंगार करें. फिर इसके बाद अपने लड्डू गोपाल को चंदन, केसर, हल्दी, फल, फूल, धूप, दीप, अर्पित करें. कान्हा की छठी पूजा में उनकी प्रिय चीजें जैसे बांसुरी, मक्खन मिश्री, मोर पंख जरूर अर्पित करें. इसके बाद उनका नाम करण करने के लिए जिस नाम से उन्हें आप पूजते हों, वह नाम बुलाएं और पूरे साल उनकी उसी नाम से साधना करें. पूजा के अंत में उनकी आरती करें तथा सभी को प्रसाद बांटे और स्वयं भी ग्रहण करें. 

छठी पूजा का क्या है धार्मिक महत्व 

पं. रामगणेश मिश्र के अनुसार सनातन परंपरा में छठी या फिर कहें षष्ठी देवी की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. मान्यता है कि छठी माता की पूजा करने पर नवजात शिशु तमाम तरह की आपदाओं से बचा रहता है. ऐसे में कान्हा के भक्त जन्मोत्सव के बाद इस पर्व का हर साल बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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