Kalashtami Vrat: इस दिन रखा जाएगा कालाष्टमी व्रत जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Vrat 2022 : भैरव नाथ की पूजा अर्चना कैसे करनी चाहिए आइए इस आर्टिकल में जानते हैं. साथ ही शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में भी जानेंगे.

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Kal Bhairav को पान, नारियल,काली उड़द, सरसो, धूप और गेरुआ आदि अर्पित की जाती हैं

Kalashtami Vrat 2022: आज यानी 22 मई को भैरव बाबा के भक्त कालाष्टमी का व्रत हैं. यह व्रत हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है. यह भगवान भैरवनाथ को समर्पित है. इस दिन भक्त गण पूरे विधि-विधान से इनकी पूजा अर्चना करते हैं. कुछ लोग घर पर तो कई उनके मंदिर में जाकर साधना करते हैं. भैरव बाबा (BAHIRAV BABA) का व्रत रखने से आपके जीवन में सुख शांति और सकारात्मक आती है. परिवार भी सुखी रहता है और दांपत्य जीवन में भी सामंजस्य बना रहता है. धार्मिक मान्यता है कि भैरवनाथ भगवान शिव (Lord Shiv) के क्रोध से उत्पन्न हुए. उन्हें काशी का कोतवाल भी कहा जाता है. जो भक्त बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए काशी जाते हैं, उन्हें काल भैरव का दर्शन पहले करना पड़ता है. कहा जाता है कि उनके दर्शन के बिना बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूरा नहीं होता है. आइए जानते हैं कि कैसे इस दिन भैरवनाथ की पूजा पाठ करना चाहिए.

कालाष्टमी शुभ योग | Kalashtami 2022 Shubh Yog 

पंचांग के अनुसार, द्विपुष्कर योग 22 मई को सुबह 5 बजकर 27 मिनट से दोपहर 12 बजकर 59 मिनट तक है. वहीं इंद्र योग सुबह से लेकर अगले दिन सुबह 3 बजे तक है. इसके अलावा धनिष्ठा नक्षत्र रात 10 बजकर 47 मिनट तक है. माना जाता है कि ये दोनों ही योग और नक्षत्र पूजा-पाठ के लिए शुभ होते हैं. कालाष्टमी व्रत की पूजा 22 मई को सुबह 5 बजकर 27 मिनट से की जा सकती है. 

कालाष्टमी का महत्व | Kalashtami vrat importance

मान्यता है कि बाबा काल भैरव की पूजा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है. कहा जाता है काल भैरव की पूजा से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है. साथ ही उनकी पूजा का नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं. इसके अलावा शत्रु भी शांत रहते हैं. 

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कालाष्टमी व्रत पूजा विधि | Kalashtami Vrat Puja Vidhi 

- कालाष्टमी के दिन सुबह निवृत होकर स्नान किया जाता है. पूरे दिन भक्त व्रत का पालन करते हैं और रात के समय मान्यतानुसार पूजा होती है. 

- यदि रात के समय आप मंदिर ना जा सकें तो घर पर लकड़ी के पटरे पर शिव-पार्वती (Shiv-Parvati) और काल भैरव की प्रतिमा रखकर पूजा करना भी शुभ माना जाता है. 

- काल भैरव को पान, नारियल,काली उड़द, सरसो, धूप और गेरुआ आदि अर्पित की जाती हैं. 

- पूजा में चौमुखी दीपक जलाने की मान्यता है और साथ ही, थाली में हल्दी और कुमकुम के साथ आरती की जाती है. 

 - कालभैरव के मंत्र (Kaal Bhairav Mantra) 'अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त, दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!' का जाप करना भी शुभ माना जाता है. 

- पूजा खत्म होने के बाद मान्यतानुसार काले कुत्ते को रोटी खिलाई जाती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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