हिन्दू धर्म के सभी 16 संस्कारों में नामकरण संस्कार (Namakaran Sanskar) को बेहद अहम माना जाता है. सनातन धर्म में सोलह संस्कारों का विधान है, जबकि इससे पूर्व उत्तर वैदिक काल में 25 संस्कारों का विधान था. वहीं, दैविक काल में चालीस संस्कारों किए जाते थे. इन्हीं सब में से एक संस्कार है नामकरण (Namakaran). वैसे तो सभी धर्मों में नामकरण संस्कार किया जाता है, लेकिन सनातन धर्म में नामकरण संस्कार बेहद महत्वपूर्ण है. नामकरण संस्कार की प्रथा सदियों से चली आ रही है. नामकरण की यह परंपरा एक शुभ मुहूर्त में की जाती है. बता दें कि इस साल (2022) में नामकरण के कुल 144 शुभ मुहूर्त हैं. आइए जानते हैं नामकरण संस्कार का महत्व और साल 2022 के नामकरण की शुभ मुहूर्त तिथि.
कब किया जाता है नामकरण संस्कार | When Is The Naming Ceremony Done
कहते हैं कि शिशु के जन्म के बाद सूतक काल शुरू हो जाता है, जो दसवें दिन समाप्त होता है. आमतौर पर दसवें दिन ही नामकरण संस्कार किया जाता है. वहीं कुछ लोग शिशु के जन्म के सौ दिन के बाद या एक साल बाद भी बच्चे का नामकरण करते हैं. कहा जाता है कि नामकरण संस्कार से शिशु में कर्म की प्रवृति जागृत होती है, इसीलिए इसे किया जाता है. नाम का हर व्यक्ति के जीवन में खास महत्व होता है, इसीलिए शिशु का नाम अच्छा होने के साथ-साथ सार्थक भी होना चाहिए.
नामकरण मुहूर्त 2022 | Namkaran Muhurat 2022
जनवरी- 3, 4, 5, 6, 8, 9, 10, 13, 14, 18, 19, 21, 22, 23, 24, 27, 28
फरवरी- 2, 3, 4, 5, 6, 7, 10, 11, 14, 15, 20, 23, 24, 27, 28
मार्च- 4, 5, 6, 7, 9, 13, 14, 19, 20, 23, 27, 28 ,31
अप्रैल- 1, 3, 6, 10, 11, 15, 19, 20, 21, 24, 28
मई- 3, 4, 5, 8, 12, 13, 16, 17, 20, 21, 22, 30, 31
जून- 1, 3, 9, 10,12,16, 19, 20, 21, 22, 23, 26
अगस्त- 3, 7, 10, 14, 17, 20, 21, 24, 25, 29
सितंबर- 2, 4, 9, 11, 12, 14, 15, 16, 17, 18, 21, 26, 27, 30
अक्तूबर- 4, 5, 9, 10,13, 18, 19, 20, 23, 27, 28, 31
नवंबर- 1, 2, 5, 6, 10,14, 15, 20, 23, 24, 27, 30
दिसंबर- 1, 2, 3, 4, 5, 7, 11, 12, 18, 19, 21, 25, 26, 29
नामकरण संस्कार का महत्व | Importance Of Naming Ceremony
मान्यता है कि नामकरण संस्कार से शिशु दीर्घायु होता है, इससे उसे जीवन में यश, कृति, सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है. इसके साथ ही वो दुनिया भर में अपनी अलग पहचान बनाता है. वर्तमान में इसका महत्व बढ़ गया है. संस्कार में कुंडली देखकर शिशु को राशि अनुसार नाम रखने की परंपरा है. नामकरण संस्कार के समय शिशु का अच्छा होने के साथ-साथ सार्थक नाम रखा जाता है
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)