साल की पहली कालाष्टमी पर आज बन रहा है ये शुभ संयोग, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

आज कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के अंशावतार काल भैरव भगवान का पूजन और व्रत रखा जा रहा है. मान्यता है कि आज के दिन भगवान काल भैरव का पूजन और व्रत करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु व मृत्यु के डर से मुक्ति मिलती है. आइए जानते है कालाष्टमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि. 

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जानिए आज कालाष्टमी व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि
नई दिल्ली:

हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी व्रत रखा जाता है. इस व्रत में भगवान शिव (Lord Shiva) के अंशावतार काल भैरव भगवान (Kaal Bhairav Puja) का विधि-विधान से पूजन और व्रत रखा जाता है. इस साल माघ मास (Magh Month) में 25 जनवरी यानि आज के दिन कालाष्टमी का व्रत किया रखा जा रहा है. इस साल की पहली कालाष्टमी के दिन द्विपुष्कर योग और रवि योग का संयोग बन रहा है. कहते हैं भगवान शिव (Lord Shiva) की नगरी काशी की रक्षा काल भैरव द्वारा ही की जाती है. बता दें कि काल भैरव भगवान शिव का वाममार्गी स्वरूप माना गया है.

मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव का पूजन और व्रत करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु व मृत्यु के डर से मुक्ति मिलती है. इतना ही नहीं, व्यक्ति को सुख-शांति और आरोग्य की प्राप्ति होती है. आइए जानते है कालाष्टमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि. 

कालाष्टमी 2022 तिथि और मुहूर्त | Kalashtami Tithi And Muhurat

  • माघ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत- 25 जनवरी, मंगलवार को प्रात: 07 बजकर 48 मिनट पर शुरू होगी.
  • माघ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का समापन- 26 जनवरी, बुधवार को प्रात: 06 बजकर 25 मिनट तक मान्य रहेगी.
  • साल का पहला कालाष्टमी व्रत 25 जनवरी को रखा जाएगा.
  • कालाष्टमी के दिन द्विपुष्कर योग और रवि योग का संयोग बन रहा है.
  • द्विपुष्कर योग- 25 जनवरी की सुबह प्रात: 07 बजकर 13 मिनट से सुबह 07 बजकर 48 मिनट तक रहेगा.
  • रवि योग- सुबह 07 बजकर 13 मिनट से सुबह 10 बजकर 55 मिनट तक होगा.
  • कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त या अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 12 मिनट से दोपहर 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा.

कालाष्टमी की पूजन विधि | Kalashtami Puja Vidhi

  • कालाष्टमी के दिन सुबह स्नानादि कर व्रत का संकल्प लें.
  • काल भैरव का पूजन करें. इस दिन उनके पूजन से काल यानि मृत्यु का भय समाप्त होता है.
  • पूजन के लिए मंदिर में या किसी साफ स्थान पर कालभैरव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करना चाहिए.
  • प्रतिमा या चित्र स्थापित करने के बाद चारों तरफ गंगाजल छिड़कें.
  • अब उन्हें फूल अर्पित करें.

  • साथ ही धूप, दीप से पूजन कर नारियल, इमरती, पान का भोग लगाएं. 
  • इसके बाद कालभैरव के समक्ष चौमुखी दीपक जला कर भैरव चालीसा और भैरव मंत्रों का पाठ करें.
  • अंत में आरती करें और फिर मनोकामना को पूरा करने वाले काल भैरव का आशीर्वाद प्राप्त करें.
  • पूजन के बाद भोग लगी चीजों में से कुछ काले कुत्तों को भी खिलाना चाहिए या फिर कुत्ते को मीठी रोटियां खिलाएं, क्योंकि कुत्ते को भगवान भैरव का वाहन माना गया है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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