भगवान शिव का वार सोमवार माना जाता है. मान्यता है कि सोमवार के दिन शिवलिंग पर गाय का कच्चा दूध चढ़ाने एवं रुद्राक्ष की माला से ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप 108 बार करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. शास्त्रों में मंत्रों को शक्तिशाली और चमत्कारी बताया गया है. ॐ नमः शिवाय के ये पांच तत्व के स्वामी भगवान शिव है. कहते हैं कि 'ॐ' ब्रम्हांड की ध्वनि है. इसका अर्थ है 'ॐ' का अर्थ शांति और प्रेम है और पंचतत्वों के सामंजस्य के लिए 'ॐ नमः शिवाय' का जप किया जाता है. भगवान शिव जी की पूजा का सर्वमान्य पंचाक्षर मंत्र 'ॐ नमः शिवाय', जो प्रारंभ में ॐ के संयोग से षडाक्षर हो जाता है, भोलेनाथ को अति प्रिय है. यह मंत्र शिव तथ्य है जो सर्वज्ञ, परिपूर्ण और स्वभावतः निर्मल है.
कहते हैं कि हृदय में 'ॐ नमः शिवाय' का मंत्र समाहित होने पर संपूर्ण शास्त्र ज्ञान एवं शुभ कार्यों का ज्ञान स्वयं ही प्राप्त हो जाता है. माना जाता है कि मंत्र जप एक ऐसा उपाय है, जिससे सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं. शिवपुराण में 'ॐ नमः शिवाय' को ऐसा मंत्र बताया गया है. जिसके जप से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. कहते हैं कि शिव के पंचाक्षर मंत्र से सृष्टि के पांचों तत्वों को नियंत्रित किया जा सकता है.
शिवपुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती भोलेनाथ से पूछती हैं कि कलियुग में समस्त पापों को दूर करने के लिए किस मंत्र का आशय लेना चाहिए? देवी पार्वती के इस प्रश्न का उत्तर देते हुए भगवान शिव कहते हैं कि प्रलय काल में जब सृष्टि में सब समाप्त हो गया था, तब मेरी आज्ञा से समस्त वेद और शास्त्र पंचाक्षर में विलीन हो गए थे. सबसे पहले शिवजी ने अपने पांच मुखों से यह मंत्र ब्रह्माजी को प्रदान किया था. हिंदु धर्म के सबसे शक्तिशाली मंत्र और प्रभावी मंत्र का अर्थ और उनका जाप करने से होने वाले फायदे के बारें में आज हम आपको बताएगें. आज हम भगवान शिव के शरणाक्षर मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' के बारे में आपको जानाकरी देने की कोशिश करेंगे.
ॐ नमः शिवाय मंत्र का अर्थ
हिंदू धर्म में ॐ नमः शिवाय पंचाक्षर कहलाते है और ये पंच तत्वों का प्रतीक माने जाते हैं. शिव पुराण के अनुसार, इस मंत्र के ऋषि वामदेव हैं और स्वयं शिव इसके देवता हैं. 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र एक महामंत्र है. भगवान शिव शंकर सृष्टि को नियंत्रित करने वाले देव माने जाते हैं. शिव पुराण में इस मंत्र को शरणाक्षर मंत्र भी कहा गया है, क्योंकि इसका निर्माण प्रलव मंत्र ओम के साथ नम: शिवाय पंचाछर मंत्र का मेल करने पर हुआ है. शिव पुराण के अनुसार, 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र के महत्व का वर्णन सौ करोड़ वर्षो में भी संभव नहीं है. ॐ नमः शिवाय का अर्थ है घृणा, तृष्णा, स्वार्थ, लोभ, ईर्ष्या, काम, कोध्र, मोह, माया और मद से रहित होकर प्रेम और आन्नद से परिपूर्ण होकर परमात्मा का शानिध्य प्राप्त करें.
बताया जाता है कि नमः शिवाय की पंच ध्वनियाँ सृष्टि में मौजूद पंचतत्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिनसे सम्पूर्ण सृष्टि बनी है और प्रलयकाल में उसी में विलीन हो जाती है. क्रमानुसार 'न' पृथ्वी,'मः'पानी,'शि'अग्नि ,'वा' प्राणवायु और 'य' आकाश को इंगित करता है.स्कन्दपुराण में कहा गया है कि 'ॐ नमः शिवाय 'महामंत्र जिसके मन में वास करता है, उसके लिए बहुत से मंत्र, तीर्थ, तप व यज्ञों की क्या जरूरत है. यह मंत्र मोक्ष प्रदाता है, पापों का नाश करता है और साधक को लौकिक,परलौकिक सुख देने वाला है. धर्मग्रंथों के अनुसार 'ॐ नमः शिवाय' के जप से भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और इस मंत्र के जप से सभी दुःख, सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं. इसके साथ ही शिवजी की असीम कृपा बरसने लगती है.
इस मंत्र का जप करने का समय
वेद पुराणों में 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जप करने का कोई खास समय निर्धारित नहीं है. इस मंत्र को जब चाहे तब जप कर सकते हैं.
भगवान शिव के इस प्रभावी मंत्र का जाप आप सूर्योदय और सूर्यास्त दोनों प्रहर में कर सकते हैं.
इस मंत्र जपने की विधि
शास्त्रों के अनुसार इस मंत्र का जप हमें शिव मंदिर, तीर्थ या घर में साफ, शांत व एकांत जगह में बैठकर करना चाहिए.
'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप प्रत्येक दिन रुद्राक्ष की माला से करें.
ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार प्रत्येक दिन करना शुभ माना जाता है.
जप हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करें.
कहते हैं कि यदि आप किसी पवित्र नदी के किनारे शिव लिंग की स्थापना और पूजन के बाद जप करेंगे, तो उसका फल सबसे उत्तम होगा.
ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप हमेशा योग मुद्रा में बैठकर ही करना चाहिए.
कहते हैं कि इस मंत्र के उच्चारण से समस्त इंद्रियां जाग उठती हैं.
माना जाता है कि धार्मिक लाभ के अलावा 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र स्वास्थ्य लाभ भी देता है.
इस मंत्र का जाप करने के नियम
देवालय, तीर्थ या घर में शांत जगह पर बैठकर इस मंत्र का जाप करें.
पंचाक्षरी मंत्र यानी 'ॐ नमः शिवाय' के आगे हमेशा ॐ लगाकर जप करें.
किसी भी हिंदू माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी पहले दिन से कृष्ण पक्ष की चतुर्थदशी तक इस मंत्र का जाप करें.
पंचाक्षरी मंत्र की अवधि में व्यक्ति को खानपान, वाणी, और इंद्रियों पर पूरा सयम रखें.
इस मंत्र के फायदे
कहते हैं कि इस मंत्र का जप करने से धन की प्राप्ति होती है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है.
मान्यता है कि संतान प्राप्ति के लिए भी इस मंत्र का जाप किया जाता है.
माना जाता है कि इस मंत्र के जाप से सभी कष्ट और दुख समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति पर महाकाल की अशिम कृपा बरसने लगती है.
मान्यता है कि इस मंत्र का उच्चारण करने से हर तरह की बाधाएं दूर होती हैं.
बताया जाता है कि इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति जीवन चक्र का रहस्य समझ पाता है. साथ ही, मोक्ष प्राप्ति के लिए भी इस मंत्र का जप किया जाता है. ॐ शब्द में ही त्रिदेवों का वास माना गया है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)