शनि ढैय्या और शनि साढ़ेसाती में क्या है अंतर, यहां जानिए जीवन पर क्या पड़ता है प्रभाव

Shani ki Sadhe Sati: शनि देव जब किसी राशि में भ्रमण करते हैं तो उस राशि में शनि की स्थिति के आधार पर साढ़े साती और ढैय्या के योग बनते हैं. देखा जाए तो साढ़े साती और ढैय्या हमेशा ही कष्टकारी नहीं होते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 20 mins
Shani Dhaiyya: शनि देन को माना जाता है न्याय का देवता.

Shani Dev Effects: शनिदेव को हिंदू धर्म में न्याय का देवता कहा गया है. मान्यता है कि शनिदेव व्यक्ति के कर्म के हिसाब से उसको फल देते हैं. शनिदेव (Shani Dev) राशियों में भ्रमण के दौरान अपना प्रभाव छोड़ते हैं. इसे शनि की ढैय्या (Shani ki dhaiya) और साढ़े साती (Sade Sati) के नाम से जाना जाता है. किसी भी राशि में शनिदेव के प्रवास के दौरान पड़ा प्रभाव ही साढ़े साती औऱ ढैय्या के रूप में जाना जाता है. जिस राशि में शनिदेव साढ़े सात साल तक प्रभाव डालते हैं उसे साढ़े साती कहा जाता है और वहीं शनि की ढैय्या का प्रभाव किसी जातक पर ढाई साल तक रहता है. जानिए शनि की साढ़े साती और ढैय्या के प्रभाव के बारे में.

Mokshada Ekadashi 2023: मोक्षदा एकादशी के दिन कुछ मंत्रों का जाप माना जाता है शुभ, मिलती है श्रीहरि की कृपा

साढ़ेसाती क्या है 

जब शनिदेव किसी राशि के 12वें भाव या राशि में प्रवास करते हैं या किसी राशि के दूसरे भाव में रहते हैं तो उस राशि पर शनि का साढ़ेसाती का प्रभाव शुरू हो जाता है. आपको बता दें कि साढ़ेसाती का प्रभाव तीन चरणों का होता है, ये सारा समय ढाई-ढाई साल के तीन चरणों में बंटा होता है. इस तरह से साढ़ेसाती की पूर्ण अवधि साढ़े सात साल की होती है.

Advertisement
शनि की ढैय्या क्या है  

जब शनि किसी गोचर में जन्मकालीन राशि से चतुर्थ या अष्टम भाव में बैठते हैं तो इसे शनि ढैय्या का प्रभाव कहा जाता है. शनि ढैय्या का कुल समय ढाई वर्ष का होता है. आपको बता दें कि आमतौर पर यही कहा जाता है कि शनि की साढ़े साती और ढैय्या दोनों ही अशुभ और कष्टकारी होती हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. देखा जाए तो कुंडली में शनि की स्थिति ही साढ़ेसाती और ढैय्या के शुभ और अशुभ प्रभाव को दिखाती है.

Advertisement
ढैय्या और साढ़ेसाती के प्रभाव को कम करने के उपाय

चूंकि शनिदेव कर्म के अनुसार फल देते हैं इसलिए कुछ खास काम करने पर जातक शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती के अशुभ प्रभाव को कम कर सकता है. हर शनिवार (Saturday) की सायंकाल को शनि स्त्रोत का पाठ करना चाहिए. इससे  ढैय्या और साढ़ेसाती के कष्ट कम होते हैं. शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा करनी चाहिए. शनिवार के दिन काली उड़द, काले कपड़े, सरसों का तेल, लोहा, गुड़ आदि का दान करने पर शनिदेव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा मिलती है. 

Advertisement

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
Under 19 Women's T20 World Cup: भारत ने जीता U-19 महिला टी-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप | BREAKING NEWS
Topics mentioned in this article