खरमास में तुलसी की पूजा करनी चाहिए या नहीं, जानें विद्वान क्या कहते हैं इस बारे में

ज्योतिष के अनुसार, 15 दिसंबर से सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर चुके हैं और इस दिन से ही खरमास का समयकाल शुरू हो चुका है. खरमास एक महीने तक यानि 15 जनवरी तक अपने प्रभाव में रहेगा.

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शास्त्रों की मानें तो, खरमास में भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है.

Kharmas 2024 Aur Tulsi Ki Puja: साल 2024 का आखिरी महीना दिसंबर अपने आखिरी दिनों में दिन चल रहा है. दिसंबर का महीना आधा खत्म हो चुका है और अब आधा बचा है. वहीं, 15 दिसंबर से सूर्य देव ने धनु राशि में प्रवेश कर लिया है. दिसंबर का महीना खरमास (Kharmas 2024) का महीना है, जो कि तुलसी की पूजा (Tulsi Puja) के लिहाज से बेहद खास महत्व रखता है. हिंदू मान्यताओं की मानें तो खरमास का महीना शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र (Astrology) ने इसका कारण सूर्य के धनु राशि में जाने को माना है. सूर्य के धनु राशि में जाने का अर्थ है कि इससे सूर्य की चाल धीमी पड़ जाती है. यही कारण है कि सूर्य की चमक और ऊर्जा कम हो जाती है, जिसके कारण ज्योतिष शुभ कार्य करने को से मना करते हैं.

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कब तक रहेगा खरमास का समयकाल (Time of Tulsi Puja in Kharmas)

ज्योतिष के अनुसार, 15 दिसंबर से सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर चुके हैं और इस दिन से ही खरमास का समयकाल शुरू हो चुका है. खरमास एक महीने तक यानि 15 जनवरी तक अपने प्रभाव में रहेगा. वहीं, मान्यता है कि खरमास के महीने में भगवान विष्णु, सूर्य देव और माता लक्ष्मी की पूजा करने के लिए अच्छा समयकाल माना जाता है. खरमास माह के चलते लोगों में पूजा की विधि को लेकर संशय बना रहता है. साथ ही लोगों के मन में यह भी शंका घर कर जाती है कि खरमास के महीने में तुलसी माता की पूजा करनी चाहिए या नहीं? अगर खरमास के माह में तुलसी की पूजा कर सकते हैं तो इसकी क्या पूजा विधि है? आइए जानते हैं खरमास के माह में तुलसी की पूजा करनी चाहिए या नहीं और क्या है इसकी पूजा विधि और महत्व?



खरमास में तुलसी की पूजा करनी चाहिए या नहीं?  (Tulsi Puja in Kharmas)
जिन लोगों को खरमास में तुलसी की पूजा करने में कोई संदेह हो तो उन्हें बता दें कि पंडितों के अनुसार खरमास में तुलसी की पूजा कर सकते हैं. पंडितों की मानें तो खरमास में तुलसी की पूजा सबसे ज्यादा शुभ और लाभ देने वाली मानी जाती है. यदि कोई जातक खरमास में तुलसी की पूजा पूरे श्रद्धाभाव से करता है, तो उसके जीवन में मौजूद और आने वाले सभी कष्टों का निवारण हो जाता है.

खरमान में तुलसी की पूजा की विधि  (Vidhi of Tulsi Puja in Kharmas)

अब जिनके मन में यह सवाल है कि खरमास में तुलसी की पूजा करने की क्या विधि है. इसे थोड़ा ध्यान से पढ़ें. खरमास में तुलसी की पूजा (Tulsi Puja) ब्रह्म मुहूर्त में करने का विधान है, क्योंकि यह काल सबसे शुभ माना जाता है. खरमास में तुलसी की पूजा करने के लिए एक बर्तन में गंगाजल (Gangajal) लें और फिर इससे आंगन में लगी तुलसी माता का स्नान करें. तुलसी माता (Goddess Tulsi) को स्नान कराने के बाद इसके पास देसी घी का दीपक जलाएं और फिर हल्दी, रोली और चावल से उनकी पूजा करें. यह एक तरह से तुलसी मां का श्रृंगार है और फिर नीचे दिए गये मंत्र का सच्चे मन से जाप करें. 

ॐ वासुदेवाय नमः, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र.
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी.
धर्मा धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया.
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्.
ॐ वासुदेवाय नमः और ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र

खरमास में तुलसी पूजा का महत्व (Importance of Tulsi Puja in Kharmas)
शास्त्रों की मानें तो, खरमास में भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है और मान्यता है कि तुलसी माता विष्णु भगवान की प्रिय हैं. इसलिए खरमास में तुलसी की पूजा करने का अर्थ है कि विष्णु भगवान को भी प्रसन्न करना. वहीं, खरमास में तुलसी की पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि होती है. इससे घर में फैली नकारात्मक उर्जा का विनाश होता है और जीवन में सभी काम बनने के साथ-साथ सकारात्मक उर्जा घर में प्रवेश करती है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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