Kharmas 2024: कब से शुरू हो रहा है खरमास, जानें इस दौरान कौनसे काम किए जाते हैं और कौनसे नहीं

Kharmas 2024 Date: खरमास ऐसा समय होता है जब बहुत से कामों को करने से मना किया जाता है. जानिए इस दौरान किन बातों का खास ख्याल रखना जरूरी है.

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Kharmas Importance: खरमास में मांगलिक कार्य करने की होती है मनाही.

Kharmas 2024: हिंदू धर्म में खरमास का खास महत्व है. इस दौरान शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. साल में 2 बार खरमास लगता है. साल 2024 का दूसरा खरमास दिसंबर में सूर्य गोचर (Surya Gochar) के साथ लग रहा है. खरमास ऐसा समय होता है जिसमें कई कामों को करने की मनाही होता है. ऐसे में जानिए इस बार खरमास कब से शुरू हो रहा है और इस दौरान क्या-क्या नहीं करना चाहिए, साथ ही जानिए खरमास कब तक रहने वाले हैं और इन दिनों का क्या महत्व होता है.

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खरमास का अर्थ और महत्व

'खर' का अर्थ है 'गधा' और 'मास' का अर्थ है 'महीना' इसका मतलब ऐसा समय जिसमें शुभ कार्यों को रोक दिया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, सूर्य देव जब धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं तो उनकी गति धीमी हो जाती है और उनका प्रभाव कमजोर हो जाता है. इस कारण यह समय शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना जाता है.

वैदिक पंचांग के अनुसार, 15 दिसंबर 2024 से खरमास की शुरुआत हो रही है. 15 दिसंबर को रात 10:19 बजे सूर्य वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में चले जाएंगे. इस परिवर्तन (Rashi Parivartan) के साथ ही खरमास की शुरुआत हो जाएगी. एक महीने तक चलने वाले खरमास में शुभ और मांगलिक काम रुक जाते हैं. इस समय ऐसे काम करना अशुभ माने जाते हैं. 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में पहुंचते हैं तब खरमास समाप्त हो जाता है. इस बार ग्रहों का यह परिवर्तन 14 जनवरी 2025 को होगा. इस दिन खरमास समाप्त हो जाएगा और एक बार फिर से मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी.

खरमास के दौरान सूर्य धनु और मकर राशि में प्रवेश करते हैं जो नई दिशा और नई ऊर्जा के प्रतीक माने जाते हैं. यह ऐसा समय होता है जब कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-पाठ किए जाते हैं. हालांकि, इसमें विवाह (Marriage), गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक कार्य करने से बचा जाता है.

खरमास से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य देव ने जब अपने रथ को धीमा कर दिया था तब उनका एक माह का समय अशुभ हो गया था. इस रथ को गधे द्वारा खींचा गया था जिससे यह मास "खरमास" कहलाया.

  • खरमास में मांगलिक कार्य जैसे शादी, गृह प्रवेश या इस तरह का कोई काम नहीं होता है.
  • सगाई, बहु-बेटी की विदाई और मुंडन (Mundan) जैसे काम भी इस दौरान नहीं किए जाते हैं.
  • खरमास में मांस-मदिरा जैसे तामसिक भोजन करने की मनाही है.
  • खरमास में भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा अत्यंत शुभ मानी गई है.
  • खरमास में गरीबों को दान कर इष्ट देव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए.
  • खरमास में मानसिक शांति के लिए ध्यान यानी मेडिटेशन कर सकते हैं.
  • खरमास के दौरान सूर्य पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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