Shiv Temple: ये है भगवान शिव का एकमात्र मंदिर, जहां उनके साथ नहीं हैं नंदी

Shiv Temple: नंदी को भगवान शिव का परम भक्त माना जाता है. इसलिए हर मंदिर में नंदी की प्रतिमा स्थापित होती है, लेकिन भारत में एकमात्र शिव मंदिर ऐसा है, जहां नंदी विराजमान नहीं हैं.

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Shiv Temple: इस मंदिर में शिव जी के साथ नंदी नहीं हैं.
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हर शिव मंदिर में विराजमान रहते हैं नंदी.
नंदी को माना जाता है भगवान शिव का भक्त.
भगवान शिव के गण हैं नंदी.

Shiv Temple: नंदी को भगवान शिव (Lord Shiva) का भक्त माना जाता है, इसलिए जहां कहीं भी शिव मंदिर (Shiv Mandir) में नंदी (Nandi) विराजमान रहते हैं. आमतौर पर अधिकांश शिव मंदिर (Shiv Mandir) में शिवलिंग (Shivling) के अलावा नंदी (Nandi) की प्रतिमा भी स्थापित की जाती है. अधिकां शिव मंदिरों में भगवान शिव के साथ उनके परम भक्त नंदी भी मौजूद हैं. लेकिन भारत का एकमात्र शिव मंदिर ऐसा है जहां नंदी विराजमान नहीं हैं. आइए जानते हैं ऐसे शिव मंदिर के बारे में जहां नंदी विराजमान नहीं हैं. 

यहां हैं बिना नंदी के भगवान शिव 

महाराष्ट्र का नासिक शहर कुंभ मेले के कारण प्रसिद्ध है. इसके अलावा वह एक अन्य कारण से भी प्रसिद्ध है. दरअसल यहां गोदावरी नदी के तट पर कपालेश्वर महादेव का मंदिर है. यह एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है जहां भगवान शिव के वाहन नंदी स्थापित नहीं हैं. पौराणिक मान्यता है कि इस मंदिर में किसी समय भगवान शिव ने निवास किया था. 

मंदिर में क्यों नहीं है नंदी की उपस्थिति

मान्यता है कि किसी समय ब्रह्मदेव के 5 मुंह हुआ करते थे. जिनमें से चार मुंह वेद की ऋचाओं का पाठ किया करते थे और पंचवां मुंह निंदा करता था. कहा जाता है निंदा वाले मुंह से भगवान शिव नाराज हो गए और उन्होंने उस मुंह को ब्रह्माजी के शरीर से अलग कर दिया. जिस कारण भगवान शिव को ब्रह्म हत्या का पाप लगा.

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मान्यता है कि ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान ब्रह्मांड में जगह-जगह घूमने लगे, लेकिन कोई उपाय नहीं मिला. उसी क्रम में वे जब सोमेश्वर में बैठे थे तो एक बछड़े द्वारा उन्हें उस पाप से मुक्ति का उपाय बताया गया. कहा जाता है कि वह बछड़ा नंदी ही थे. वह भगवान शिव के साथ गोदावरी के रामकुंड तक गए और कुंड में स्नान करने के लिए कहा. स्नान का बाद भगवान शिव को ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिल सकी.

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मान्यता है कि नंदी के कारण ही भगवान शिव को ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिल सकी, इसलिए वे नंदी तो गुरू माना और वहां शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए. चूंकी यहां नंदी भगवान शिव के गुरू बन गए थे, इसलिए उन्होंने नंदी को अपने सामने स्थापित होने से मना कर दिया. कहा जाता है कि तभी से कपालेश्वर मंदिर में शिव जी बिना नंदी के स्थापित हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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