Kamakhya Temple: कामाख्या देवी मंदिर असम (Assam) के नीलाचल पहाड़ी (Nilachal Hills) पर स्थित है. यह मंदिर असम (Assam) की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी (Guwahati) शहर से 7-8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. कामाख्या देवी मंदिर (Kamakhya Mandir) को प्रमुख शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक माता सती के योनि का भाग इस स्थान पर गिरा था. जिसके बाद इस स्थान पावन स्थल के रूप में स्थापित किया गया. मान्यता है कि इस मंदिर में तांत्रिक अपनी सिद्धियों को सिद्ध करने के लिए आते हैं. मान्यता है कि मां कामाख्या की महिमा से ब्रह्मपुत्र नदी का पानी लाल हो जाता है. आइए जानते हैं शक्तिपीठ कामाख्या मंदिर के बारे में.
ऐसे हुआ कामाख्या मंदिर का निर्माण
पौराणिक कथा के मुताबिक माता सती अपने पिता दक्ष प्रजापति के व्यवहार से नाराज होकर अपने शरीर को अग्नि में समर्पित कर दिया था. जिसके बाद महादेव ने अपने शरीर को अपने कंधे पर लेकर तांडव करने लगे. जिसके संसार में प्रलय की स्थिति उत्पन्न हो गई. तब सृष्टि को प्रलय से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को कई भागों में विभक्त कर दिया. कहा जाता है कि माता सती के शरीर के हिस्से जहां-जहां गिरे वे स्थान शक्तिपीठ कहलाए. मान्यता है कि माता सती का योनि भाग कामाख्या में गिरा. जिस कारण उसे शक्तिपीठ के नाम से जाना जाने लगा.
यहां कुंड की होती है पूजा
कहा जाता है कि 51 शक्तिपीठों में से कामाख्या शक्तिपीठ माहापीठ है. इस शक्तिपीठ में माता की प्रतिमा स्थापित नहीं है. भक्त मंदिर में बने कुंड की पूजा करते हैं. इस कुंड को फूलों के ढक कर रखा जाता है.
नदी का पानी हो जाता है लाल
कहते हैं कि ब्रह्मपुत्र नदी का पानी 3 दिन के लिए लाल हो जाता है. कहा जाता है कि जब मां कामाख्या देवी रजस्वला होती हैं तो उस दौरान नदी का पानी लाल हो जाता है. इस दौरान मंदिर के कपाट भी बंद रहते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)