Kalashtami Vrat 2022: कार्तिक मास की कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा इस दिन, जानें शुभ मुहूर्त पूजा-विधि और मंत्र

Kalashtami Vrat Kartik Month: कार्तिक मास की कालाष्टमी 17 अक्टूबर को पड़ रही है. ऐसे में कालाष्टमी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त, विधि और मंत्र के बारे में जानते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
Kalashtami Vrat 2022: कार्तिक मास की कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा इस दिन, जानें शुभ मुहूर्त पूजा-विधि और मंत्र
Kalashtami 2022 Kartik Month: कालाष्टी व्रत में कालभैरव की पूजा की जाती है.
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
17 अक्टूबर को है कालाष्टमी.
कार्तिक मास की कालाष्टमी व्रत का है खास महत्व.
इस तरह की जाती है कालभैरव की पूजा.

Kalashtami Vrat 2022 Kartik Month: हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है. कार्तिक मास की कालाष्टमी का व्रत 17 अक्टूबर 2022 को रखा जाएगा. इस दिन काल भैरव की पूजा का विधान है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक काल भैरव की पूजा करने से भय खत्म हो जाता है. शिव पुराण के अनुसार, काल भैरव भगवान शिव के ही अंश हैं. काल भैरव की उत्पत्ति का मूल भगवान शिव को ही माना जाता है. ऐसे में कालाष्टमी पर काल भैरव की पूजा करने से भगवान शिव की कृपा भी प्राप्त होती है. आइए जानते हैं कार्तिक कृष्ण पक्ष की कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र.

कालाष्टमी डेट और शुभ मुहूर्त | Kalashtami 2022 Date Shubh Muhurat

पंचांग के मुताबिक कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 17 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 29 मिनट से शुरू हो रही है. वहीं अष्टमी तिथि की समाप्ति 18 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर होगी. ऐसे में उदया तिथि की मान्यानुसार, कालाष्टमी का व्रत 17 अक्टूबर, सोमवार को रखना सबसे उपयुक्त होगा. 

कालाष्टमी पूजा विधि | Kalashtami Puja Vidhi

कालाष्टमी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत होकर साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद कालाष्टमी व्रत का संकल्प लें. मान्यता के अनुसार, काल भैरव की पूजा रात में की जाती है. साथ ही पूरे दिन व्रत रखा जाता है. ऐसे में अगर संभव हो सके तो किसी मंदिर में जाकर रात में काल भैरव की पूजा करें. अगर ऐसा संभव ना हो सके तो लकड़ी के पाट पर भगवान शिव और माता पार्वती के साथ काल भैरव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. इसके बाद काल भैरव को नारियल, इमरती, पान, मदिरा, गेरुआ आदि चीजें अर्पित करें. इसके बाद चौमुखी दीपक जलाएं. धूप-दीप, कुमकुम या हल्दी से सभी देवताओं को तिलक लगाएं और सबकी बारी-बारी से आरती उतारें. रात के समय धूप, दीप, काली उड़द और सरसों के तेल से पूजा करने के बाद शिव चालीसा और भैरव चालीसा का पाठ करें. इसके अलावा बटुक भैरव कवच का भी पाठ कर सकते हैं. भैरव मंत्रों की 108 बार जाप करें. काल भैरव की पूजा के बाद काले कुत्ते को मीठी रोटी या फिर कच्चा दूध पीलाएं. 

Advertisement

कालाष्टमी पूजा मंत्र | Kalashtami Puja Mantra

ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं

ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

PM मोदी बोले- महाकाल की नगरी प्रलय के प्रहार से भी मुक्‍त, उज्‍जैन भारत की आत्‍मा का केंद्र 

Featured Video Of The Day
Pahalgam Terror Attack | जल्द होगा Pakistan का इलाज! PM मोदी की अध्यक्षता में कल CCS की बैठक