Jivitputrika Puja Vidhi : हिंदू धर्म में कई व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं. हर त्योहार का अपना एक महत्व होता है, जिनमें से एक है जीवित पुत्रिका व्रत, जिसे जितिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है. कई ऐसे पर्व भी हैं, जो सामाजिक और पारिवारिक संरचना को मजबूती देते हैं. ये व्रत अश्विनी मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. महिलाएं पितृपक्ष में आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि को ये व्रत रखती हैं. हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा कठिन व्रत जीवित पुत्रिका व्रत को माना जाता है. इस व्रत को महिलाएं निर्जला रहकर करती हैं. यह व्रत वे सौभाग्यवती स्त्रियां रखती हैं, जिनको पुत्र होते हैं. इसके साथ ही जिनके पुत्र नहीं होते वह भी पुत्र की कामना और बेटी की लंबी आयु के लिए इस व्रत को पूरे विधि-विधान से रखती हैं.
तीन दिनों तक चलता है व्रत
जीवित पुत्रिका व्रत या जितिया व्रत लगातार तीन दिनों तक चलता है.
- पहला दिन- स्नान के बाद भोजन लें, प्रभु का स्मरण करें.
- दूसरा दिन- जितिया निर्जला व्रत रखें.
- तीसरा दिन- पारण करें.
Jivitputrika Vrat 2021 : जानिये जीवित पुत्रिका व्रत का महत्व
जीवित पुत्रिका व्रत का शुभ मुहूर्त (Jivitputrika Vrat Shubh Muhurat)
- जीवित पुत्रिका व्रत- 29 सितंबर 2021.
- अष्टमी तिथि प्रारंभ- 28 सितंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट से शुरू.
- अष्टमी तिथि की समाप्ति- 29 सितंबर की रात 8 बजकर 29 मिनट तक.
जीवित पुत्रिका व्रत का महत्व (Significance Of Jivitputrika Vrat)
मान्यता है कि इस व्रत को रखने वाली महिलाओं के पुत्र दीर्घजीवी होते हैं. इसके साथ ही उनके जीवन में आने वाली सारी अड़चनें, कठिनाइयां अपने आप टल जाती हैं. कहीं-कहीं महिलाएं निर्जला व्रत के बाद सामूहिक रूप से जीवित पुत्रिका व्रत कथा सुनती हैं.
Jivitputrika Vrat 2021 : अश्विनी मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रखा जाता है ये व्रत
जीवित पुत्रिका व्रत की पूजन विधि (Jivitputrika Vrat Puja Vidhi)
- इस व्रत के पहले दिन यानी सतमी के दिन स्नान करने के बाद भोजन करना चाहिये.
- अष्टमी के दिन सुबह स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करना चाहिए.
- इसके साथ सूर्य देवता की प्रतिमा पर जल चढ़ायें.
- सूर्य देवता को धूप, दीप दिखाकर आरती करनी चाहिए.
- आरती के बाद भगवान को भोग लगाना चाहिए.
- अष्टमी तिथि की समाप्ति के बाद सूर्य देवता को अर्ध्य देकर ही पारण करना चाहिए.