Jaya Ekadashi 2023: एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के लिए रखा जाता है. मान्यतानुसार एकादशी का अद्भव विष्णु भगवान के शरीर से ही हुआ था. इस चलते भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के लिए एकादशी का व्रत रखा जाता है. प्रतिवर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी (Ekadashi) को जया एकादशी कहा जाता है. इस वर्ष जया एकादशी का व्रत 1 फरवरी 2023 के दिन रखा जाएगा. इस व्रत से अनेक मान्यताएं व पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं.
क्यों मनाते हैं जया एकादशी
मान्यतानुसार जया एकादशी का व्रत (Jaya Ekadashi Vrat) रखने का कारण बताया जाता है कि इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु भक्तों को बुरी शक्तियों से बचाते हैं और साथ ही व्यक्ति का अगले जन्म में पापमुक्त होकर पैदा होता है. इस एकादशी को भूमि एकादशी और भीष्म एकादशी भी कहते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार युधिष्ठिर को भगवान कृष्ण ने जया एकादशी की कथा सुनाई थी और बताया था कि इंद्र ने पुष्यवती और माल्यवान को प्रेत योनि निवास करने का श्राप दिया था जिससे बचने के लिए दोनों ने भगवान विष्णु से गुहार लगाी और जया एकादशी का व्रत किया. इसके पश्चात ही दोनों को कष्टों भरे जीवन से मुक्ति मिली थी.
इस वर्ष जया एकादशी 31 जनवरी की रात से 11 बजकर 53 मिनट से शुरू हो रही है, लेकिन इसका व्रत 1 फरवरी के दिन शुरू होगा. व्रत का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurt) दोपहर 2 बजकर 1 मिनट से शुरू हो रहा है और व्रत का पारण अगले दिन सुबह 7 बजकर 12 मिनट से 9 बजकर 24 मिनट तक किया जा सकेगा.
पूजा के लिए एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करने के पश्चात व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद पूजा (Puja) की सामग्री एकत्रित की जाती है. इस सामग्री में धूप, दीप, फल और पंचामृत आदि शामिल किया जाता है. पूजा के लिए जया एकादशी पर भगवान विष्णु के कृष्ण एकादशी की पूजा की जाती है. आरती करके भगवान को भोग लगाया जाता है और प्रसाद बांटते हैं. इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन भी किया जाता है. इस व्रत में विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत का पाठ बेहद शुभ माना जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)