जन्माष्टमी की इस व्रत कथा को पढ़े बिना अधूरा माना जाता है व्रत, ऐसे जन्म लिया था श्रीकृष्ण ने

Janmashtami Vrat Katha: मान्यतानुसार जन्माष्टमी के अवसर पर कान्हा के जन्म की कथा पढ़ी जाती है. कहते हैं इस कथा का पाठ करके पूजा संपन्न की जाए तो भगवान का आशीर्वाद भक्तों को मिलता है. 

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
Janmashtami Katha: यहां पढ़ें जन्माष्टमी की पौराणिक कथा. 

Krishna Janmashtami 2024: श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कान्हा ने जन्म लिया था. यह तिथि इस साल 26 अगस्त के दिन पड़ रही है. आज अष्टमी तिथि देररात 2 बजकर 19 मिनट तक रहने वाली है. पूजा का शुभ मुहूर्त रात 12 बजकर 44 मिनट तक है. इस शुभ मुहूर्त में बाल गोपाल की पूजा संपन्न की जा सकती है. माना जाता है कि जन्माष्टमी के मौके पर कंस वध की कथा सुनना बेहद शुभ होता है. कहते हैं इस कथा (Janmashtami Katha) के बिना जन्माष्टमी की पूजा अधूरी मानी जाती है. 

Janmashtami Puja: आज गजकेसरी योग में मनाई जाएगी जन्माष्टमी, जानिए पूजा का सही शुभ मुहूर्त क्या है

जन्माष्टमी व्रत की कथा | Janmashtami Vrat Katha 

पौराणिक कथा के अनुसार, माना जाता है कि द्वापर युग में मथुरा में कंस (Kans) नाम का एक राजा हुआ करता था. कंस अपनी बहन देवकी से अत्यंत प्रेम करता था और उसके लिए कुछ भी कर सकता था. देवकी का विवाह बेहद धूमधाम से वासुदेव से कराया गया था. परंतु एक दिन आकाश में यह भविष्यवाणी हुई कि उसकी मृत्यु का कारण उसकी ही बहन की संतान होगी. भविष्यवाणी में कहा गया कि, हे कंस तू अपनी बहन को ससुरार छोड़ने जा रहा है परंतु उसकी गर्भ से पैदा होने वाली आठवीं संतान ही तेरी मृत्यु का कारण बनेगी.

इस भविष्यवाणी को सुनकर कंस दंग रह गया. कंस एक अत्याचारी शासक था जिससे ब्रजवासी परेशान थे. कंस ने अपनी बहन के साथ सदा प्रेम से व्यवहार किया था मगर यह भविष्यवाणी सुनकर सबकुछ बदल गया. कंस ने अपनी बहन देवकी  (Devki) और उसके पति वासुदेव को कारागार में डाल दिया. देवकी ने अपने भाई से कहा कि उसकी संतान कभी अपने मामा के साथ ऐसा नहीं करेगी लेकिन कंस ने उसकी एक ना सुनी. 

Advertisement

इसके बाद कारागार में ही देवकी और वासुदेव की सात संतानें हुईं जिन्हे कंस ने मार दिया. सातवीं संतान को योगमाया ने देवकी के गर्भ से संरक्षित कर माता रोहिणी के गर्भ मं डाल दिया और आठवीं संतान को देवकी ने जन्म दिया. यही संतान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) थी. आठवीं संतान को कंस लेकर जाता उससे पहले ही चमत्कार होने लगा. कारागार के द्वार अपनेआप खुलने लगे, प्रकाश से कारागार जगमगाने लगा और सभी रास्ते खुद ही खुलने लगे. इस संतान को वासुदेव के यहां छोड़ दिया और उनकी कन्या को अपने साथ ले आए, 

Advertisement

नंद जी के यहीं श्रीकृष्ण को पाला गया और यशोदा मैया ने अपना प्रेम दिया. आगे चलकर श्रीकृष्ण ने ही अपने मामा कंस का वध किया और ब्रजवासियों को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई. 

Advertisement

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि

Advertisement
Featured Video Of The Day
Russia Ukraine War News: रूस का यूक्रेन पर करारा प्रहार! पहली बार दागी ICBM
Topics mentioned in this article