Jagannath Rath Yatra 2025: जगन्नाथ रथ यात्रा एक आस्था से भरपूर यात्रा है. जिसमें भक्तों का सैलाब उमड़ता है. ये एक ऐसी यात्रा (Jagannath Rath Yatra Significance) है जो अपनेआप में भारतीय संस्कृति का सार है. ये एक ऐसा उत्सव है, जिसमें भक्ति, एकता, समर्पण और उल्लास एक साथ देखने को मिलते हैं. ये यात्रा (Jagannath Rath Yatra Ka Shedule) हमें सिखाती है कि ईश्वर केवल मंदिरों या पूजालयों तक सीमित नहीं हैं. वो अपने भक्तों के बीच आकर उन्हें साक्षात दर्शन भी देते हैं. आम इंसानों की तरह बीमार भी पड़ते हैं. जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी ये भी एक अनोखी परंपरा है. स्थानीय सांसद संबित पात्रा ने बताया कि क्यों भगवान क्यों बीमार पड़ते हैं और कैसे होता है उनका उपचार.
क्यों बीमार पड़ते हैं भगवान, कैसे होता है उपचार?
एनडीटीवी संवाददाता मनुज्ञा लोइवाल को इस बारे में सांसद संबित पात्रा ने बताया, “स्नान पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम जी और बहन सुभद्रा जी के साथ सुदर्शन जी को लेकर मंदिर प्रांगण में आते हैं. वहां वो स्नान वेदी पर बैठते हैं और उनका सार्वजनिक रूप से स्नान होता है. जब कोई बहुत स्नान करता है, तो बीमार पड़ने की संभावना होती है. वैसे ही भगवान भी बीमार पड़ जाते हैं. ये एक अद्भुत संदेश है कि भगवान भी एक सामान्य मानव के रूप में व्यवहार करते हैं. इसके बाद उन्हें 15 दिनों के लिए क्वारंटाइन में रखा जाता है. उनकी चिकित्सा होती है और फिर उनका नव यौवन दर्शन होता है. तब वो रथ पर चढ़ते हैं और गुंडीचा मंदिर की यात्रा करते हैं”.
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तय करते हैं तीन किमी की दूरी
सांसद संबित पात्रा ने बताया कि गुंडीचा मंदिर तक की यात्रा करीब तीन किमी लंबी होती है. उन्होंने कहा, “श्री मंदिर को मुख्य मंदिर कहा जाता है और गुंडीचा मंदिर भगवान का जन्म स्थान माना जाता है. ये यात्रा उस महान सड़क पर होती है जिसे बड़ा डांडा कहते हैं. महाप्रभु के साथ सब कुछ बड़ा होता है. उनके रथ, उनका मार्ग, उनका प्रसाद जिसे महाप्रसाद कहा जाता है. तीन रथों- नंदीघोष (जगन्नाथ), तालध्वज (बलराम) और दर्पदलन (सुभद्रा) पर चढ़कर ये यात्रा पूरी होती है.
जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 का शेड्यूल
इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा 27 जून को निकलेगी. जिसका शेड्यूल श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) द्वारा जारी किया गया है.
27 जून को होने वाले प्रमुख अनुष्ठानों का समय नीचे दिया गया है:
• मंगल आरती – सुबह 6:00 बजे
• मेलम (वस्त्र परिवर्तन) – सुबह 6:10 बजे
• तदापालगी (दूसरे वस्त्र पहनाना) – सुबह 6:30 बजे
• रोष होम (हवन) – सुबह 6:30 बजे
• अबकाष (दंतधावन आदि) – सुबह 7:00 बजे
• सूर्य पूजा – सुबह 7:10 बजे
• द्वारपाल पूजा – सुबह 7:30 बजे
• वेशेषेष (वेशभूषा पूर्ण) – सुबह 7:30 बजे तक
• गोपाल बल्लभ और सकाल धूप (खिचड़ी भोग) – सुबह 8:00 से 9:00 बजे तक
• रथ प्रतिष्ठा – सुबह 9:00 बजे
• मंगलार्पण – सुबह 9:15 बजे
• पाहंडी यात्रा की शुरुआत – सुबह 9:30 बजे
• पाहंडी यात्रा समाप्त – दोपहर 12:30 बजे तक
• श्री श्री मदन मोहन, श्री राम और श्री कृष्ण की यात्रा – 12:30 से 1:00 बजे के बीच
• चिता लागी (माथे पर चंदन लगाना) – 1:30 से 2:00 बजे तक
• वेशेषेष (वेशभूषा पूर्ण) – 1:30 से 2:30 बजे तक
• गजपति महाराज द्वारा छेरा पहनरा (झाड़ू लगाना) – 2:30 से 3:30 बजे तक
• सीढ़ी हटाना, घोड़े और सारथी लगाना – शाम 4:00 बजे
• रथ यात्रा की शुरुआत (रथ खींचना) – शाम 4:00 बजे से