Dhanvantari puja : आज धनतेरस पूरे देश में मनाया जा रहा है. बाजार में सोनार की दुकान, बरतन की दुकान, कपड़े की दुकान, भगवान की मूर्तियों की दुकान पर ग्राहकों की भीड़ लगी हुई है. सभी भगवान को कुबेर को खुश करने के लिए कोई ना कोई सामान खरीद रहे हैं. धनतेरस के दिन नया सामान घर में लाने के अलावा पूजा पाठ भी किया जाता है भगवान धनवंतरि का. इस दिन उनकी पूजा करने के साथ-साथ आरती और स्तोत्र भी पढ़ा जाता है.
धनतेरस के दिन करें धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ | Dhanvantari strot
ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम
कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम
वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः
धन्वंतरि जी की आरती | Dhanvatari aarti
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय धन्वं.।।
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।।जय धन्वं.।।
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।जय धन्वं.।।
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।जय धन्वं.।।
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।जय धन्वं.।।
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।जय धन्वं.।।
धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।जय धन्वं.।।
क्यों करते हैं धन्वंतरि की पूजा
पौराणिक मान्यता है कि समुद्र मंथन के पश्चात धन्वंतरि देव (dhanvantari dev) अमृत का कलश (Amrit Kalash) लेकर देवताओं के समक्ष प्रकट हुए थे. यही वजह है कि धनतेरस यानी धन्वंतरि जयंती (dhanvantari jayanti 2022) के दिन इनकी पूजा की जाती है. माना जाता है कि धनतेरस के दिन इनकी पूजा करने के धन का अभाव नहीं रहता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)