Holika Dahan 2022: होली की पूजा में ये 3 आरती गाना माना जाता है शुभ, कहते हैं मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण

Holi Aarti: होलिका दहन और होली पर मान्यता है कि विशेष आरती करने पर भगवान प्रसन्न हो जाते हैं. आप भी पूजा करते हुए ये 3 आरती गा सकते हैं.

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Holika Dahan: होली पूजा के समय ये आरती गाना माना जाता है शुभ.

Holika Dahan: होली के इस महापर्व पर विशेष पूजा व आरती की जाती है. होलिका दहन के दिन सुबह से ही तरह-तरह के पूजा-पाठ लोग करने लगते हैं. इस दिन भगवान नरसिंह, राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) की भी विशेष आरती की जाती है. आप भी यदि होलिका दहन या उसके अगले दिन होली पर पूजा आदि करते हैं तो ये 3 आरती गायी जा सकती हैं. मान्यता है कि पूरे श्रद्धाभाव से यदि आरती की जाए तो भगवान प्रसन्न होते हैं. 

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होली और होलिका दहन की आरती | Holi and Holika Dahan Aarti

होली पर राधा रानी की आरती 

आरती राधा जी की कीजै -2

कृष्ण संग जो करे निवासा, कृष्ण करें जिन पर विश्वासा, आरति वृषभानु लली की कीजै।।

आरती राधा जी की कीजै -2

कृष्ण चन्द्र की करी सहाई, मुंह में आनि रूप दिखाई, उसी शक्ति की आरती कीजै।।

आरती राधा जी की कीजै -2

नन्द पुत्र से प्रीति बढाई, जमुना तट पर रास रचाई, आरती रास रचाई की कीजै।।

आरती राधा जी की कीजै -2

प्रेम राह जिसने बतलाई, निर्गुण भक्ति नही अपनाई, आरती ! श्री ! जी की कीजै।।

आरती राधा जी की कीजै -2

दुनिया की जो रक्षा करती, भक्तजनों के दुख सब हरती, आरती दु:ख हरणी जी की कीजै।।

आरती राधा जी की कीजै -2

कृष्ण चन्द्र ने प्रेम बढाया, विपिन बीच में रास रचाया, आरती कृष्ण प्रिया की कीजै।।

आरती राधा जी की कीजै -2

दुनिया की जो जननि कहावे, निज पुत्रों की धीर बंधावे, आरती जगत मात की कीजै।।

आरती राधा जी की कीजै -2

निज पुत्रों के काज संवारे, आरती गायक के कष्ट निवारे, आरती विश्वमात की कीजै।।

आरती राधा जी की कीजै -2

होली पर नरसिंह भगवान की आरती 

ओम जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह हरे।

स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे, जनका ताप हरे॥

ओम जय नरसिंह हरे

तुम हो दिन दयाला, भक्तन हितकारी, प्रभु भक्तन हितकारी।

अद्भुत रूप बनाकर, अद्भुत रूप बनाकर, प्रकटे भय हारी॥

ओम जय नरसिंह हरे

सबके ह्रदय विदारण, दुस्यु जियो मारी, प्रभु दुस्यु जियो मारी।

दास जान आपनायो, दास जान आपनायो, जनपर कृपा करी॥

ओम जय नरसिंह हरे

ब्रह्मा करत आरती, माला पहिनावे, प्रभु माला पहिनावे।

शिवजी जय जय कहकर, पुष्पन बरसावे॥

ओम जय नरसिंह हरे

होली पर भगवान कृष्ण की आरती

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंती माला,

बजावै मुरली मधुर बाला ।

श्रवण में कुण्डल झलकाला,

नंद के आनंद नंदलाला ।

गगन सम अंग कांति काली,

राधिका चमक रही आली ।

लतन में ठाढ़े बनमाली

भ्रमर सी अलक,

कस्तूरी तिलक,

चंद्र सी झलक,

ललित छवि श्यामा प्यारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की...॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै,

देवता दरसन को तरसैं ।

गगन सों सुमन रासि बरसै ।

बजे मुरचंग,

मधुर मिरदंग,

ग्वालिन संग,

अतुल रति गोप कुमारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की...॥

जहां ते प्रकट भई गंगा,

सकल मन हारिणि श्री गंगा ।

स्मरन ते होत मोह भंगा

बसी शिव सीस,

जटा के बीच,

हरै अघ कीच,

चरन छवि श्रीबनवारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की...॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू,

बज रही वृंदावन बेनू ।

चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू

हंसत मृदु मंद,

चांदनी चंद,

कटत भव फंद,

टेर सुन दीन दुखारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की...॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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