हिंदू धर्म में पूजा कितने प्रकार की होती है और उनके क्या महत्व हैं, जानिए ज्योतिषाचार्य अरविंद मिश्र से

पंडित अरविंद मिश्र बताते हैं कि हिंदू धर्म में पूजा कई प्रकार से की जाती है. इनमें नित्य पूजा, नैमित्तिक पूजा, काम्य पूजा, आत्म पूजा, यज्ञ और हवन पूजा आदि शामिल है. 

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काम्य में पूजा : जो पूजा किसी खास उद्देश्य से की जाती है, उसे काम्य पूजा कहते हैं .

Hindu puja significance : हिंदू धर्म में पूजा का विशेष महत्व है. पूजा के माध्यम से हम अपने इष्ट एवं अपने आराध्य को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं. हिंदू धर्म के अनुसार पूजा एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है. इसके माध्यम से भक्त और भगवान का आपस में जुड़ाव होता है. पूजा धार्मिक कर्म के साथ-साथ भगवान से अपनी लगन लगाने का भी एक माध्यम है. आपको बता दें कि हिंदू धर्म में पूजा कई प्रकार से की जाती है. उन प्रकारों के नाम क्या हैं, आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से...

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पूजा कितने प्रकार की होती है

पंडित अरविंद मिश्र बताते हैं कि हिंदू धर्म में पूजा कई प्रकार से की जाती है. इनमें नित्य पूजा, नैमित्तिक पूजा, काम्य पूजा, आत्म पूजा, यज्ञ और हवन पूजा आदि शामिल है. 

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नित्य पूजा :  प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में जाकर स्नान आदि से निवृत होकर जो पूजा की जाती है इसमें भगवान को स्नान कराकर वस्त्र पहनाकर धूप, दीप, पुष्प, भोग, फल अर्पण करते हैं.  हिंदू धर्म को मानने वाले अधिकतर लोग नित्य पूजा करते हैं. इसके लिए वे अपने घरों में देवी-देवताओं की मूर्ति या चित्र को अपने मंदिर में रखकर पूजा करते हैं.

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नैमित्तिक पूजा : नैमित्तिक पूजा उसे कहते हैं, जो पूजा खास अवसरों एवं पर्व त्योहार पर की जाती है. जैसे दीपावली की पूजा, शिवरात्रि, जन्माष्टमी आदि त्योहारों पर की जाने वाली पूजा.

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काम्य में पूजा : जो पूजा किसी खास उद्देश्य से की जाती है, उसे काम्य पूजा कहते हैं -जैसे नौकरी, संतान प्राप्ति ,लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए धन वृद्धि या संपत्ति लाभ, विवाह के लिए अथवा अपने किसी कष्ट आदि को दूर करने के लिए. 

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आत्म पूजा : आत्म पूजा के द्वारा भगवान का मानसिक रूप से पूजन मनन एवं चिंतन किया जाता है. आत्म पूजा से अभिप्राय है मानसिक रूप से की जाने वाली पूजा. जिसमें भक्त मन मस्तिष्क और आत्मा से ईश्वर का ध्यान करता है. इसे खास उपवास के मौके पर किया जाता है. 

यज्ञ एवं हवन पूजा : यज्ञ एवं हवन पूजा में अग्नि के माध्यम से देवी देवताओं को आहुतियां दी जाती है. यह पूजा बेहद प्रभावशाली मानी जाती है. इसके साथ इसमें विशेष अनुष्ठान भी किए जाते हैं.

पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा: पंचोपचार पूजा में भगवान की पूजा पांच वस्तुओं से की जाती है, जिसमें गंध (रोली) पुष्प, दीप, धूप और नैवेद्य शामिल है. जबकि षोडशोपचार पूजा में भगवान की सोलह विधियों से पूजा अर्चना की जाती है और वस्तुएं अर्पित की जाती हैं. हिन्दू धर्म में भक्त को शरीर शुद्धि, मन शुद्धि, आचरण शुद्धि का विशेष ध्यान रखना चाहिए. हिन्दू धर्म में साधना, आराधना और उपासना द्वारा हम अपने इष्ट एवं आराध्य की पूजा करते हैं. 

साधना और उपासना : साधना अर्थात अपने को नियम संयम, आहार विचार, ब्रह्मचर्य, वाणी संयम, भोजन संयम आदि के द्वारा अपने आराध्य के अनुकूल अपने को बनाना. आराधना अर्थात् अपने आराध्य एवं इष्ट का हर वक्त चिन्तन एवं मनन करना उनके पास बैठना और धार्मिक कार्यों में अपनी स्वयं की और दूसरों की आस्था बढ़ाना, हमेशा इस बात का ख्याल रखना कि हमारे किसी भी कार्य से धर्म की हानि न होने पाए.

 उपासना अर्थात अपने आराध्य एवं इष्ट के गुणों को अपने जीवन में धारण करना उनके जैसे बनना. किसी भी जीव जन्तु को अकारण कभी न सताना,तभी हमारी पूजा सफल, सार्थक और पुण्यफल देने वाली होगी.

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