Hartalika Teej 2022 Puja Bhog: हरतालिका तीज का व्रत 30 अगस्त को यानी आज रखा जा रहा है. ज्योतिष शास्त्र की मान्यता के अनुसार यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि में रखना अधिक शुभ होता है. तृतीया तिथि दोपहर 2 बजकर 30 मिनट तक है. इसके अलावा हरतालिका तीज की पूजा (Hartalika Teej Puja Vidhi) के लिए प्रदोष काल का विशेष मुहूर्त शाम 6 बजकर 33 मिनट से रात 8 बजकर 41 मिनट तक है. आइए जानते हैं कि हरतालिका तीज व्रत के 4 प्रहर की पूजा का क्या महत्व है और चारों प्रहर की पूजा के लिए भोग (Hartalika Teej Bhog) क्या-क्या हैं.
हरतालिका तीज के 4 प्रहर की पूजा का महत्व | hartalika teej worship method
हरतालिका तीज (Hartalika Teej) के इस कठिन व्रत को जो भी करता है उसके लिए चार प्रहर की पूजा का खास महत्व होता है. महिलाएं चारों प्रहर की पूजा प्रसन्न चित्त से करती हैं. वैसे तो चारों प्रहर की पूजा आसान नहीं होती है, क्योंकि इसमें से कुछ प्रहर रात्रि कालीन होते हैं. इस दौरान व्रती महिलाओं को पूरी रात जागना होता है. व्रती महिलाएं जागकर भी हरतालिका तीज के चारों प्रहर की पूजा करती हैं.
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हरतालिका तीज व्रत में 4 प्रहर के भोग | hartalika teej Vrat Bhog
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चार पहर की जो पूजा होती है वो शाम को 6 बजे से सुबह 6 बजे के बीच विभक्त रहता है. यानी शाम 6 से 9 के बीच में प्रथम प्रहर की पूजा, इस प्रहर में भगवान को फल का भोग लगाया जाता है. इसके बाद 9 से 12 के बीच में दूसरे प्रहर की पूजा होती है. इस दौरान पकवान के भोग लगाए जाते हैं. फिर 12 से 3 के बीच में तीसरे प्रहर की पूजा मध्य रात्रि में होती है. उस वक्त जल, दूध, या शरबत से भोग लगाया जाता है. अंत में सुबह 3 से 6 के बीच में फल, मीठा, पकवान या जो भी घर में बना है, उसका भोग लगाकर हवन करते हैं. इसके बाद महिलाएं एकसाथ गीत गाती हैं और पूजा का विसर्जन करती हैं. चारों प्रहर में शिवजी और माता पार्वती जी की विशेष पूजा की जाती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)