Hariyali Teej 2022: आज मनाई जाएगी हरियाली तीज, शिव-पार्वती और कृष्ण से है कजरी तीज का संबंध

Hariyali Teej 2022: सावन मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है. इस साल हरियाली तीज 31 जुलाई को मनाई जाएगी. इस दिन का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से भी माना जाता है.

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Hariyali Teej 2022: हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं.

Hariyali Teej 2022: सावन महीने में हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है. यह प्रत्येक साल सावन (Sawan 2022) मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. इस व्रत को सुहागिन महिलाएं दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करती हैं. इस साल हरियाली तीज 31 जुलाई, 2022 को है. इस दिन देश के अन्य हिस्सों में कजरी तीज (Kajari Teej 2022) भी मनाई जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, कजरी तीज (Kajari Teej) का संबंध भगवान शिव, मां पार्वती और भगवान श्रीकृष्ण से भी है.  

इस तरह मनाई जाती है कजरी तीज | Kajari Teej 2022 Puja Vidhi

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कजरी तीज के दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और सौभाग्य प्राप्ति की कामना से निर्जला व्रत रखती हैं. जबकि कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर प्राप्ति की कामनी पूर्ति के लिए व्रत रखती हैं. कजरी तीज व्रत के दिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं सुबह उठकर स्नान इत्यादि से निवृत होकर हरे रंग के नए कपड़े पहनती हैं. पूजा स्थान को गंगाजल से पवित्र कर वहां मां पार्वती, भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करती हैं. पूजा की थाली में सुहाग की सामग्रियां रखकर मां पर्वती को अर्पित करती है. साथ ही भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करती हैं. इसके बाद तीज की कथा सुनकर आरती करती हैं.

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भगवान कृष्ण से भी है हरियाली तीज का संबंध 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, हरियाली तीज (Hariyali Teej 2022) का संबंध भगवान कृष्ण से भी है. देश के कुछ हिस्सों, जैसे- मध्यप्रदेश और बुंदेलखंड के कुछ इलाकों में यह व्रत भगवान कृष्ण (Lord Krishna) को समर्पित होता है. पौराणिक कथा के अनुसार, जब श्रीकृष्ण मथुरा चले गए, तब गोपियों ने बार-बार श्रीकृष्ण को संदेश भेजा कि वे वे गोकुल लौट आएं. श्रीकृष्ण ने गोपियों को समझाने के लिए उद्धव जी को गोकुल भेजा. उद्धव जी ने राधा और गोपियों को वैराग्य का उपदेश दिया, लेकिन राधा जी ने उद्धव जी की बात नहीं मानीं. उन्होंने यमुना तट के एक उपवन में जाकर श्रीकृष्ण का ध्यान किया. जिसके बाद श्रीकृष्ण प्रकट हुए और राधा के साथ झूला झूलने लगे. जब राधा जी ने श्रीकृष्ण के प्रकट होने की बात गोपियों को बताई, तो उन्होंने भी श्रीकृष्ण का ध्यान किया और उन्हें भी लगा कि श्रीकृष्ण उनके साथ हैं. जब उद्धव जी को यह बात पता लगी कि श्रीकृष्ण गोकुल में गोपियों के साथ थे, तो वे श्रीकृष्ण के पास मथुरा पहुंचे. उन्हें यह पता चला श्रीकृष्ण तो मथुरा से गए ही नहीं तो वे हैरान रह गए. तब भगवान कृष्ण ने उनसे कहा- जो भी पवित्र भाव से मुझे याद करता है, मैं उसके पास उपस्थित हो जाता हूं. जिस दिन श्रीकृष्ण राधा जी और गोपियों के सामने प्रकट हुए थे, वह तिथि सावन मास की शुक्ल तृतीया थी. मान्यता है कि उसी दिन से इस तिथि को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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