देवभूमि में आज हरेला पर्व का उत्सव, यहां जानिए इस त्योहार का इतिहास और महत्व

आपको बता दें कि यह पर्व उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में सदियों से मनाते आ रहे हैं. हरेला पर्व वर्षा ऋतु के आगमन और नई फसल के स्वागत में मनाया जाता है.

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इस दिन लोग पौधारोपण करके प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं.

Harela parv significance : आज देवभूमि उत्तराखंड में हरेला पर्व मनाया जा रहा है. यह हर साल सावन माह में मनाया जाता है. यह त्योहार उत्तराखंड की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत का प्रतीक है, जो हरियाली, फसलों की समृद्धि और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है. आपको बता दें कि यह त्योहार उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में सदियों से मनाते आ रहे हैं. हरेला वर्षा ऋतु के आगमन और नई फसल के स्वागत में मनाया जाता है.

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हरेला शब्द का अर्थ - Harela meaning

हरेला शब्द हरियाली से बना है, जो प्रकृति की हरियाली और समृद्धि को दर्शाता है.

कैसे मनाते हैं हरेला - How to celebrate Harela

हरेला पर्व की तैयारी 9 दिन पहले से शुरू हो जाती है. 9 दिन पहले एक टोकरी में जौ, गेहूं, मक्का आदि के बीज को बोया जाता है. फिर दसवें दिन यानी हरेला पर इन्हें काटा जाता है. फिर देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है और हरेला मां पार्वती और भोलेनाथ को अर्पित किया जाता है.

फिर हरेला को घर के सभी सदस्यों के सिर पर रखा जाता है, खासकर बच्चों और नवविवाहित जोड़े के सिर पर. मान्यता है इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है.

इस दिन खीर, पुआ, भट्ट की चुरकानी जैसे पारंपरिक पकवान भी बनाए जाते हैं. साथ ही इस दिन पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया जाता है और पौधारोपण किया जाता है.

हरेला महत्व - Harela significance

आपको बता दें कि यह पर्व प्रकृति संरक्षण का संदेश देता है. इस दिन लोग पौधारोपण करके प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी और पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी फैलाते हैं. साथ ही यह पर्व अच्छी फसल की कामना करने का दिन है. यही नहीं हरेला  एकता का भी प्रतीक है. क्योंकि यह परिवार और समुदाय को साथ में लाने का काम करता है. इस दिन लोग एकसाथ बैठकर भोजन करते हैं, परिवार के साथ समय बिताते हैं. जिससे आपसी प्रेम बढ़ता है. वहीं, हरेला पर्व भगवान शिव और पार्वती की पूजा का भी दिन है, ऐसे में लोग देवी पार्वती और शंकर जी का आशीर्वाद भी प्राप्त करते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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