Sant Ravidas Jayanti: आज है संत रविदास की जयंती, जानें- उनसे जुड़ी ये खास बातें

आज संत रविदास जी (Sant Ravidas) की जयंती है. संत रविदास जयंती (Sant Ravidas Jayanti) हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ पूर्णिमा को मनाई जाती है. 27 फरवरी यानी आज माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) पड़ने के चलते संत रविदास जयंती मनाई जा रही है.

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नई दिल्ली:

आज संत रविदास जी (Sant Ravidas) की जयंती है. संत रविदास जयंती (Sant Ravidas Jayanti) हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ पूर्णिमा को मनाई जाती है.  27 फरवरी यानी आज माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) पड़ने के चलते संत रविदास जयंती मनाई जा रही है.

माघ पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. संत रविदास का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था. रविदास  की माता का नाम कलसा देवी और पिता का नाम श्रीसंतोख दास जी था. रविदासजी के जमाने में दिल्ली में सिकंदर लोदी का शासन था. कहते हैं सिकंदर लोदी ने उनकी ख्याति से प्रभावित होकर उन्हें दिल्ली आने का निमंत्रण भेजा था, लेकिन उन्होंने बड़ी विनम्रता से ठुकरा दिया था. मध्ययुगीन साधकों में रविदास जी (Sant Ravidas) का विशिष्ट स्थान है. रविदासजी कबीर की तरह ही उच्च कोटि के प्रमुख संत कवियों में विशिष्ट स्थान रखते हैं. स्वयं कबीरदास जी ने 'संतन में रविदास' कहकर इन्हें मान्यता दी है.

बता दें, उपराष्ट्रपति एम वेकैंया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संत-कवि रविदास को उनकी जयंती पर शनिवार को श्रद्धांजलि दी. नायडू ने ट्विटर पर लिखा, " महान कवि-संत गुरु रविदास जी को उनकी जयंती पर आज मेरी विनम्र श्रद्धांजलि। रविदास जी सार्वभौमिक भाईचारे में विश्वास करते थे और उन्होंने अपनी रचनाओं तथा शिक्षाओं से एकता का संदेश फैलाया है. आज जब हम उन्हें याद कर रहे हैं तो, उनकी शिक्षाओं का अनुसरण भी करें और संकल्प लें कि उनके दिखाए गए मार्ग पर चलेंगे. "

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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सदियों पहले संत रविदास द्वारा समानता, सद्भावना और करूणा पर दिया गया संदेश देश के लोगों को पीढ़ियों तक प्रेरित करेगा।

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उन्होंने ट्वीट किया, " उन्हें (संत रविदास को) उनकी जंयती पर मेरी विनम्र श्रद्धांजलि. " प्रधानमंत्री ने "माघ पूर्णिमा' के अवसर पर लोगों को बधाई भी दी.

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जानिए रविदास के बारे में

संत रविदास जी (Sant Ravidas) आडम्बर और बाह्याचार के घोर विरोधी थे. वे मूर्तिपूजा, तीर्थयात्रा आदि में बिल्कुल यकीन नहीं करते थे. वे व्यक्ति की निश्छल भावना और आपसी भाईचारे को ही सच्चा धर्म मानते थे. यही कारण है कि रविदासजी की काव्य-रचनाओं में सरलता के साथ व्यावहारिकता का समर्थन मिलता है. संत रविदास दूसरों की मदद करने में सबसे आगे थे. रविदास कभी किसी की मदद करने से पीछे नहीं हटते थे.

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बता दें, उन्होंने अपनी कविताओं के लिए जनसाधारण की ब्रजभाषा का प्रयोग किया है. साथ ही इसमें अवधी, राजस्थानी, खड़ी बोली और रेख्ता यानी उर्दू-फ़ारसी के शब्दों का भी मिश्रण है. रविदासजी के लगभग चालीस पद सिख धर्म के पवित्र धर्मग्रंथ 'गुरुग्रंथ साहब' में भी सम्मिलित किए गए है. उनकी काव्य रचनाओं को रैदासी के नाम से जाता है.

राजस्थान की कवयित्री और कृष्ण भक्त मीरा का रविदास से मुलाकात का कोई आधिकारिक विवरण तो नहीं मिलता है, लेकिन कहते हैं मीरा के गुरु रविदासजी ही थे. कहते हैं संत रविदास ने कई बार मीराबाई की जान बचाई थी.

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