Hanuman Mandir: इस मंदिर में हुई थी हनुमान चालीसा की रचना, अकबर और ओबामा भी हो गए मुरीद, दर्शन से पूरी होती है हर इच्छा!

Hanuman Mandir: दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर महाभारत काल की मानी जाती है. इस मंदिर में मंगलवार और शनिवार को भक्तों का तांता लगा रहता है.

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Hanuman Mandir: कहा जाता है कि कनॉट प्लेस स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में हनुमान चालीसा की रचना हुई थी.

Hanuman Mandir: वैसे तो देश में कई प्राचीन हनुमान मंदिर मौजूद हैं, लेकिन दिल्ली के कनॉट प्लेस (Connaught Place) स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर (Hanuman Mandir) महाभारत काल की मानी जाती है. इस मंदिर में मंगलवार और शनिवार को भक्तों का तांता लगा रहता है. इस हनुमान मंदिर की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है अकबर (Akbar) और ओबामा (Obama) भी इसके मुरीद माने जाते हैं. इतना ही नहीं, इस हनुमान मंदिर का नाम गिनिज बुक में भी दर्ज है. आइए जानते हैं इस प्रचीन हनुमान मंदिर के बारे में. 

गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड है इस मंदिर का नाम

कनॉट प्लेस का हनुमान मंदिर प्राचीन मंदिरों में से एक है. कहा जाता है कि यह हनुमान मंदिर महाभारत काल से ही है. इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां आम से लेकर खास इंसान दर्शन के लिए आते हैं. यहां पर कई दिग्गज नेता, मंत्री और सीएम तक दर्शन के लिए आ चुके हैं. बताया जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने दिल्ली में पांच मंदिरों की स्थापनी की थी. यह हनुमान मंदिर उन्हीं में से एक है. इसके अलावा अन्य चार कालकाजी मंदिर, योगमाया मंदिर, भैरो मंदिर और नीली छतरी महादेव मंदिर हैं. इसके अलावा इस मंदिर में 'श्री राम, जय राम, जय जय राम' मंत्र का जाप 1 अगस्त 1964 से लगातार 24 घंटे किया रहा है. यही कारण है कि इस मंदिर का नाम गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज है. 

साल 1924 में हुआ था जीर्णोद्धार

कनॉट प्लेस के इस प्रचीन हनुमान मंदिर का जिर्णोद्धार साल 1924 में जयपुर रियासत के महाराज जय सिंह ने करवाया था. जिसके बाद से इस मंदिर की लोकप्रियता बढ़ती चली गई. इस मंदिर में हनुमान जी के बाल स्वरूप की प्रतिमा स्थापित है. 

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यहां हुई थी हनुमान चालीसा की रचना

मान्याताओं के मुताबिक भक्ति काल के प्रसिद्ध संत तुलसीदास ने दिल्ली यात्रा के दौरान यहां आकर भगवान हनुमान के दिव्य स्वरूप के दर्शन किए थे. कहा जाता है कि हनुमान जी के दर्शन के मंत्रमुग्ध होकर संत तुलसीदास जी ने यहीं बैठकर हनुमान चालीसा की रचना की थी. यह खबर जब मुगल सम्रट अकबर तक पहुंची तो तुलसीदास जी को दरबार में आने का न्योता भेजा. जिसके बाद तुलसीदास जी वहां पहुंचे. जिसके बाद अकबर ने तुलसीदास जी से कोई चमत्कार दिखाने का आग्रह किया. हालांकि मुगल सम्राट का यह आग्रह बेहद कठिन था, लेकिन तुलसीदास जी नें उन्हें पूर्ण रूप से संतुष्ट किया. जिसके बाद मुगल सम्राट अकबर ने हनुमान जी के मंदिर के सबसे ऊपर एक चंद्रामा और किरीट कलश समर्पित किया. कहा जाता है कि मुगल सम्राट अकबर इस मंदिर के मुरीद हो गए थे. कहा जाता है कि ओबामा भी इस हनुमान मंदिर के मुरीद हो गए थे. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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