Gujrati New Year 2025: गुजराती नये साल की शुरुआत कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा यानि गोवर्धन पूजा या फिर कहें अन्नकूट वाले दिन होती है. ऐसे में आज से गुजराती नववर्ष 2025 प्रारंभ हो रहा है. दीयों का महापर्व यानि दिवाली के बाद गुजराती नववर्ष का गुजरात में लोग बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं. गुजराती नये साल को बेस्टु वरस या वर्ष प्रतिपदा के नाम से भी जाना जाता है. इसे गुजरात में लोग हर साल बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं. गुजराती विक्रम संवत 2082 या फिर कहें गुजराती नववर्ष के दिन का धार्मिक महत्व और इससे जुड़ी परंपरा के बारे में आइए विस्तार से जानते हैं.
क्या होता है चोपड़ा पूजन
गुजराती नववर्ष को लोग चोपड़ा पूजन के नाम से भी जानते हैं. इस दिन गुजरात में कारोबार करने वाले लोग अपने पुराने खातों को बंद करके नये खाता बुक की पूजा करके उसकी शुरुआत करते हैं. इस पूजा को धन की देवी मां लक्ष्मी जी के सम्मुख रखकर किया जाता है. गुजरात के लोगों के लिए चोपड़ा पूजन का बहुत ज्यादा महत्व होता है, क्योंकि उनका मानना है कि इस पूजन से पूरे साल उनके यहां माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और उनका कारोबार अच्छे से फलता-फूलता है.
गुजराती नववर्ष वाले दिन लोग चोपड़ा पूजन के दौरान अपने बही खाता पर शुभ चिन्ह या फिर कहें मंगल प्रतीक बनाते हैं, ताकि उन्हें पूरे साल वित्तीय लाभ हो और कारोबार की दिन दोगुनी रात चौगुनी वृद्धि हो. इस साल गुजराती नये साल की शुरुआत 22 अक्टूबर, बुधवार के दिन हो रही है और यह दिन शुभ और लाभ के देवता भगवान गणेश जी को समर्पित है.
गुजराती नववर्ष से जुड़ी लोक परंपरा
गुजरात में रहने वाले लोगों के लिए गुजराती नववर्ष का पहला दिन बेहद खास होता है. ऐसे में लोग इस दिन नये कपड़े पहनकर अपने घर और कार्यस्थल पर सुख-समृद्धि की कामना लिए विशेष पूजा करते हैं और अपने दोस्तो और परिवार के सदस्यों को शुभकामना देते हुए खुशियां बांटते हैं. इस दिन गुजरात में लोग अपने घरों को तमाम मंगल प्रतीकों से सजाते हैं और घरों में पकवान आदि बनते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)