Ganesh Visarjan 2022: क्यों किया जाता है गणेश विसर्जन, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

Ganesh Visarjan 2022: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर विधि-विधान के भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है. 10 दिन तक पूजा-अर्चना करने के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन किया जाता है.

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Ganesh Visarjan 2022: अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन किया जाता है.

Ganesh Visarjan 2022: दस दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव (Ganesh Utsav) का आज आखिरी दिन है. पंचांग के अनुसार, गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan) अनंत चतुर्दशी यानी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि (Anant Chaturdashi) को किया जाता है. सुख-समृद्धि की कामना करते हुए भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विधि-विधान से पूजा करते हुए भगवान गणेश (Lord Ganesha) को स्थिपित किया जाता है. जबकि अनंत चतुर्दशी पर विसर्जन के साथ गणेशोत्सव का समापन होता है. आइए जानते हैं कि गणेश विसर्जन क्यों किया जाता है. साथ ही इसका शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है.

गणेश विसर्जन का महत्व | Ganesh Visarjan Mahatva

हिंदू धर्म में भगवान गणेश को बुद्धि, वाणी और विवेक का देवता माना गया है. यही कारण है कि किसी भी शुभ कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश का आवाहन किया जाता है. इसके बाद ही अन्य देवी-देवताओं की पूजा होती है. पौराणिक मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा से जीवन की तमाम बाधाएं खत्म हो जाती हैं. इसके साथ ही भगवान गणेश की पूजा से घर का वास्तु दोष भी खत्म हो जाता है. मान्यता है कि भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था. यही कारण है कि गणेश चतुर्थी के दिन घर-घर भगवान गणेश की स्थापना की जाती है और 10 दिन तक उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा को किसी नदी या ताबाल में विसर्जित करते हुए उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है.

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गणेश विसर्जन मुहूर्त 2022 |  Ganesh Visarjan Muhurat 2022

  • सुबह का शुभ मुहूर्त- 06 बजकर 30 मिनट से सुबह 10 बजकर 44 मिनट तक 
  • दोपहर का शुभ मुहूर्त- 12 बजकर 18 मिनट से दोपहर 1 बजकर 52 मिनट तक
  • शाम का शुभ मुहूर्त-  05 बजे से शाम 06 बजकर 31 मिनट तक

गणेश विसर्जन की पौराणिक कथा | Legend of Ganesh Visarjan

अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणपति की प्रतिमा को जल में विसर्जित किया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि मान्यता है कि वे जल तत्व के अधिपति हैं. पुराणों के अनुसार, वेद व्यास जी भगवान गणेश को कथा सुनाते थे और बप्पा उसे लिखते थे. कथा सुनाते समय वेद व्यास जी ने अपने नेत्र बंद कर लिए. वो 10 दिन तक कथा सुनाते गए और बप्पा उसे लिखते गए. लेकिन जब दस दिन बाद वेद व्यास जी ने अपने नेत्र खोले तो देखा कि गणपति जी के शरीर का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ गया था. वेद व्यास जी ने उनका शरीर ठंडा करने के लिए ही उन्हें जल में डुबा दिया जिससे उनका शरीर ठंडा हो गया. कहा जाता है कि उसी समय से यह मान्यता चली आ रही है कि गणेश जी को शीतल करने के लिए ही गणेश विसर्जन किया जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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