महाकाल की नगरी में भोले के भक्त पूजेंगे पांच लाख पार्थिव शिवलिंग, जानें कब पूरा होगा शिव संकल्प

Parthiv Shivling: महाकाल की नगरी उज्जैन में आखिर बड़ी संख्या में शिवभक्त क्यों पार्थिव शिवलिंग बनाने में जुटे हुए हैं? पांच लाख पार्थिव शिवलिंग बनाने का आखिर कब पूर्ण होगा संकल्प? सावन के महीने में पार्थिव शिवलिंग की पूजा का महत्व जानने के लिए जरूर पढ़ें ये खबर. 

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उज्जैन में शिवभक्तों ने लिया पांच लाख पार्थिव शिवलिंग बनाने का संकल्प

Parthiv Shivling puja in Ujjain: भगवान शिव को समर्पित श्रावण मास में इन दिनों यहां पर बच्चे, बूढ़े और जवान सभी शिव की भक्ति में लीन होकर पार्थिव शिवलिंग बनाने में जुटे हुए हैं. सप्तपुरियों में से एक महाकाल की उज्जैन नगरी में इन दिनों सवा पांच लाख पार्थिव शिवलिंग बनाने का दिव्य आयोजन चल रहा है. पवित्र मिट्टी से बनाए जाने वाले पार्थिव शिवलिंग चिंतामन रोड पर जगदीश मंदिर में बनाए जा रहे हैं और अब तक शिव भक्तों द्वारा तीन लाख से अधिक शिवलिंग बनाए जा चुके हैं. ​

सावन में पार्थिव शिवलिंग की पूजा शीघ्र होती है फलदायी

महादेव की भक्ति में लीन स्थानीय लोगों का मानना है कि बाकी शिवलिंग भी आगामी श्रावण मास की पूर्णिमा तक बना करके वे अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे. गौरतलब है​ कि शिव के पूजन की जितनी भी विधियां हैं, उनमें पार्थिव पूजन को बहुत ज्यादा पवित्र और फलदायी माना गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार कलयुग में पार्थिव शिवलिंग की पूजा सभी कष्टों से उबार कर मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली है. 

पांच लाख पार्थिव शिवलिंग बनाने का है संकल्प

चूंकि सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए महापर्व पर्व माना जाता है, यही कारण है कि श्रद्धालु इस दौरान अलग-अलग धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से महादेव को मनाने का प्रयास करते हैं. कुछ ऐसी ही कामना लिए हुए स्थानीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रामेश्वर दास पिछले छह सालों से प्राचीन जगदीश मंदिर में यह विशाल धार्मिक आयोजन कर रहे है. इस साल उन्होंने पूरे श्रावण मास में सवा पांच लाख शिवलिंग बनाने का लक्ष्य रखा है.

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पूर्णिमा तक चलेगा शिवलिंग निर्माण

महंत रामेश्वर दास के अनुसार पार्थिव शिवलिंग को बनाने और पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. शिव के साधक को तमाम तरह के सुखों के साथ पुत्र अथवा पुत्री के रूप में संतान सुख भी प्राप्त होता है. मान्यता है कि शिव के भक्तों की ऐसी ही तमाम कामनाएं काली मिट्टी से बने शिवलिंग पर एक चावल के दाने के रूप में चिपका दी जाती है. बहरहाल, इस धार्मिक आयोजन में अलग-अलग आकार के पार्थिव शिवलिंग बनाए जा रहे हैं. शिवलिंग निर्माण पूर्णिमा तक चलेगा और इसके संपन्न होने पर उनका अभिषेक और पूजन करके शिप्रा नदी में प्रवाहित कर दिया जाएगा.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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