फरवरी की इस तारीख को रखा जाएगा प्रदोष व्रत, यहां जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

फरवरी महीने का पहला प्रदोष व्रत कब है, पूजा मुहूर्त और पूजा विधि क्या है, आइए जान लेते हैं. 

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Pradosh vrat february date 2025 : ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े धारण करें.

Pradosh vrat February date 2025 : प्रदोष व्रत भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा अर्चना के लिए समर्पित है. यह व्रत महीने में दो बार पड़ता है. मान्यता है प्रदोष व्रत में महादेव की विधि-विधान से पूजा अर्चना करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, आरोग्य का वरदान मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. इसके अलावा प्रदोष तिथि पर उपवास करने से विवाह में आ रही बाधा दूर होती है और दांपत्य जीवन में खुशियां बनी रहती हैं. ऐसे में फरवरी महीने का पहला प्रदोष व्रत कब है, पूजा मुहूर्त और पूजा विधि क्या है, आइए जान लेते हैं. 

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प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त 2025 - Pradosh vrat  date February 2025

पंचांग के अनुसार, फरवरी माह का पहले प्रदोष की तिथि 9 फरवरी दिन रविवार को शाम 7 बजकर 25 मिनट से अगले दिन यानी 10 फरवरी सोमवार को शाम 6 बजकर 57 मिनट तक रहेगा. आपको बता दें कि प्रदोष व्रत की पूजा रात में की जाती है, ऐसे में प्रदोष व्रत 9 फरवरी 2025 को रखा जाएगा. फरवरी माह का पहला प्रदोष रविवार को पड़ रहा है इसके कारण यह रवि प्रदोष होगा. 

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रवि प्रदोष व्रत पूजा विधि - Ravi pradosh vrat puja vidhi 

- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े धारण करें. इसके बाद शिव जी का ध्यान करते हुए प्रदोष व्रत का संकल्प करें.

- अब आप पूजा घर की अच्छे से सफाई करें. फिर पूजा की चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और देवी पार्वती की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें. 

- इसके बाद आप फूल, बेलपत्र, भांग और धतूरा आदि अर्पित करें. वहीं, अगर आप प्रदोष व्रत की पूजा मंदिर में कर रहे हैं तो पुरुष भक्त शिवलिंग पर जनेऊ अर्पित करें और महिला व्रती देवी पार्वती को सिंगार का सामान चढ़ाएं. 

- वहीं, भगवान शिव के सिरे पर चंदन से त्रिपुंड बनाएं  और घी का दीपक जलाएं. भोग में खीर का भोग लगाएं. अंत में शिव आरती, मंत्र और कथा से पूजा का समापन करें. 

प्रदोष व्रत मंत्र - Shiv mantra's

प्रदोष व्रत पर कुछ शिव मंत्रों का जाप कर लेते हैं, तो उपवास का फल दोगुना मिल सकता है. ...

  • ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
  •  ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः
  • ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
  • ऊं पषुप्ताय नमः
  •  ॐ नमः शिवाय 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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