Ekadashi Vrat Kyo Rakha Jata Hai: हिंदू धर्म में भगवान विष्णु की पूजा के लिए एकादशी तिथि का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व माना गया है. माह में दो और साल में 24 बार आने वाली इस एकादशी तिथि पर जो साधक विधि-विधान से श्री हरि के लिए व्रत को रखता है, उसकी सभी कामानाएं पूरी और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह व्रत को करने के पीछे असली कारण है? जो लोग किसी कारण से व्रत नहीं रख सकते हैं, क्या वे भी इसका पुण्यफल प्राप्त कर सकते हैं? आइए श्री हरि की कृपा बरसाने वाली एकादशी व्रत के धार्मिक-आध्यात्मिक कारण और उससे जुड़ी कामनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं.
एकादशी का व्रत क्यों रखा जाता है.
सनातन परंपरा में ईश्वर के लिए की जाने वाली साधना-आराधना, जप-तप और व्रत आदि के विशेष कारण बताए गये हैं. यदि बात करें श्री हरि का आशीर्वाद बरसाने वाले एकादशी व्रत की तो शास्त्रों में प्रत्येक व्यक्ति को अपनी 5 ज्ञानेंद्रिय और 5 कर्मेंद्रिय पर नियंत्रण रखने को कहा गया है. इन 10 इंद्रियों के अलावा शास्त्रों में मन को ग्यारहवीं इंद्रिय के रूप में स्वीकार किया गया है. इस प्रकार एकादशी तिथि पर सुख-दुख से जुड़ी तमाम तरह की कामनाओं के अलावा इन 11 इंद्रियों पर निग्रह करना ही इस व्रत का प्रमुख उद्देश्य है.
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एकादशी व्रत से जुड़ी कामनाएं और धार्मिक लाभ
- हिंदू मान्यता के अनुसार एकादशी व्रत को करने के पीछे सबसे पहला उद्देश्य जगत के पालनहार भगवान श्री विष्णु की कृपा को प्राप्त करना है. हिंदू मान्यता के अनुसार साल भर में पड़ने वाली 24 एकादशी व्रत को करने से जो पुण्यफल प्राप्त होता है, उससे साधक सभी सुखों को भोगता हुआ अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है.
- हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को वंश वृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति का बड़ा माध्यम बताया गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार श्री हरि का व्रत करने से स्वस्थ और सुंदर संतान की प्राप्ति होती है. व्यक्ति को धर्मनिष्ठ और आज्ञाकारी संतान का सुख प्राप्त होता है.
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- हिंदू मान्यता के अनुसार एकादशी व्रत को करने पर साधक को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. यानि एकादशी व्रत को नियम-संयम से करने वाले साधक के पुण्य कभी भी खत्म नहीं होते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार यह व्रत अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्यफल प्रदान करता है.
- हिंदू मान्यता के अनुसार न सिर्फ एकादशी व्रत को करने से बल्कि इसकी कथा को सुनने, कहने और इसकी पूजा का प्रसाद ग्रहण करने से भी व्यक्ति को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति एकादशी तिथि पर इस पावन व्रत की कथा को सुनता है या फिर इसके पूजन में शामिल होता है तो उसके जीवन से जुड़े सभी पाप और दोष दूर होते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)














