Ramleela : बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. देशभर में इस बार दशहरा (Dussehra 2023) को लेकर इस बार अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा है. इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर दुनिया को बुराईयों से मुक्त कर दिया था. इसी उपलक्ष्य में हर साल देशभर में रावण दहन होता है. लोग रावण का पुतला जलाकर अपने अंदर की बुराईयों का अंत करना चाहते हैं. इस बार दशहरा 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा. दशहरा के शुभ अवसर पर देश में कई जगह रामलीला (Ramleela) का मंचन भी होता है. बड़ी संख्या में लोग रामलीला देखने जाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में सबसे पुराना रामलीला (Oldest Ramleela In India) का आयोजन कहां होता है. अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं.
भारत का सबसे पुराना रामलीला
भारत का सबसे पुराना रामलीला अयोध्या या काशी नहीं बल्कि लखनऊ के ऐशबाग रामलीला को माना जाता है. इस जगह की रामलीला को गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक माना जाता है. कहा जाता है कि यहां रामलीला की शुरुआत खुद तुलसीदास ने की थी. यह भी कहा जाता है कि इसके अलावा चित्रकूट, वाराणसी और लखनऊ की सबसे पहली रामलीला की की शुरुआत तुलसीदास ने ही की थी. वाराणसी का रामलीला भी काफी फेमस है. यहां बड़े ही धूम-धाम से रामलीला का मंचन होता है.
ऐशबाग रामलीला की पहचान
कहा जाता है कि ऐशबाग की राम लीला को असली पहचान अवध के नवाब असफउद्दौला से मिली थी. यहां पहले रामलीला नहीं बल्कि राम कथा का मंचन होता था, जिसमें अयोध्या से आए साधु-संत नाटक में भाग लिया करते थे. राम लीला में भगवान राम की पूरे जीवन की लीला का मंचन किया जाता है. इसमें बालकाल से लेकर रावण युद्ध और अयोध्या वापसी तक शामिल है. यहां बड़ी संख्या में लोग भगवान राम की कथा देखने आते हैं. बड़े-बूढे और बच्चों का उत्साह देखते ही बनता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)